प्रोन्नति में आरक्षण मामले पर कोर्ट ने राज्यों से मांगा कानूनी मुद्दों का लिखित नोट
नई दिल्ली: एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी वरीयता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से कहा है कि वे कोर्ट में लंबित अपने कानूनी मुद्दों का एक लिखित नोट बना कर अटार्नी जनरल को सौंपे। कोर्ट ने राज्यों के एडवोकेट आन रिकार्ड को दो हफ्ते में लिखित नोट सौंपने का आदेश दिया है।
राज्यों के नोट देखकर अटार्नी जनरल सुप्रीम कोर्ट के विचार के लिए कानूनी मुद्दे ड्राफ्ट कर चार सप्ताह में कोर्ट में दाखिल करेंगे। कोर्ट ने मामले को छह सप्ताह बाद सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया है। एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी वरीयता के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 15 अप्रैल 2019 के आदेश से फिलहाल यथास्थिति कायम है। ये आदेश सोमवार चीफ जस्टिस एसए बोबडे, एल.नागेश्वर राव और वी.सरन की पीठ ने एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी वरीयता देने के मामले में कोर्ट द्वारा एम.नागराज मामले में दी गई व्यवस्था पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिए।
पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के एम.नागराज मामले में 2006 को दी गई व्यवस्था लागू करने का मुद्दा शामिल है। उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण देने का प्रविधान करने वाले कानून को तो सही ठहराया था लेकिन यह भी कहा कि ऐसा करने से पहले सरकार को पिछड़ेपन और पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के आंकड़े जुटाने होंगे।