यूपी : दिन गिनकर भुगतान से होमगार्डों को 7,000 तक नुकसान संभव
सचिवालय प्रशासन विभाग के नए आदेश से मंत्रियों व अफसरों के यहां ड्यूटी करने वाले होमगार्ड व पीआरडी जवानों को करीब 7,000 रुपये महीने तक नुकसान का खतरा खड़ा हो गया है। इससे होमगार्ड जवानों में जबर्दस्त नाराजगी है।
शासन में आवश्यकतानुसार मंत्रियों व अफसरों के कार्यालयों तथा अनुभागों में बड़ी संख्या में होमगार्ड व पीआरडी जवानों की तैनाती होती है। ये ऑफिस कार्य में सहयोग से लेकर पत्रावलियों को लाने-ले जाने तक का काम करते हैं। कई अफसरों व मंत्रियों के आवास पर भी इनकी ड्यूटी लगती है। तैनाती वाले विभाग संविदा या आउटसोर्स से तैनात कर्मियों की तरह होमगार्ड व पीआरडी कर्मियों की ड्यूटी प्रमाणित कर पूरे महीने के लिए भुगतान का प्रस्ताव क्रमश: होमगार्ड विभाग व युवा कल्याण विभाग को भेजा जाता है। इसके बाद वहां से इनका भुगतान किया जाता है। इससे होमगार्ड कर्मियों को महीने में करीब 21 हजार रुपये मिलते हैं।
मगर, सचिवालय प्रशासन विभाग ने शनिवार, रविवार या सार्वजनिक अवकाशों में होमगार्ड व पीआरडी जवानों से ड्यूटी लिए जाने पर मस्टररोल पर नोट के रूप में विशेष रूप से उल्लेख करना अनिवार्य कर दिया है। ऐसा न किए जाने पर ड्यूटी प्रमाणित करने वाले कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है। इससे विभागों के ड्यूटी प्रमाणित करने की जिम्मेदारी से जुड़े कर्मी शनिवार, रविवार व सार्वजनिक अवकाश के दिनों की ड्यूटी प्रमाणित करने से इनकार की बात करने लगे हैं। महीने में शनिवार व रविवार के रूप में आठ छुट्टियां व औसतन एक से दो सार्वजनिक अवकाश पड़ने से होमगार्ड के कार्यदिवस में औसत 10 दिनों की कटौती हो सकती है। इससे 7,000 रुपये तक मानदेय कम हो जाएगा।
होमगार्डों को आर्थिक चुनौतियों की चिंता
नाम न छापने के आग्रह के साथ होमगार्ड जवानों का कहना है कि वह भी अन्य कर्मियों की तरह सचिवालय में सुबह साढ़े नौ बजे से शाम छह बजे तक ड्यूटी करते हैं। इसी वजह से उन्हें अन्य कर्मियों की तरह सप्ताह में दो दिन की छुट्टी मिलती रही है। जरूरत पर वह अन्य कर्मियों से हटकर देर तक ड्यूटी करते हैं। छुट्टी व सार्वजनिक अवकाश के दिनों में भी बुलाने पर आते हैं। लेकिन, नए आदेश के बाद ड्यूटी कराने के बावजूद कोई भी छुट्टी व सार्वजनिक अवकाश की ड्यूटी प्रमाणित नहीं करेगा। आनाकानी करने पर ड्यूटी से ही हटाए जाने की नौबत आ जाएगी। इस तरह मानदेय निर्धारण से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा।
जिलों में भी असर संभव
जिलों में कलेक्टर आवास व कार्यालय से लेकर तमाम दफ्तरों में आवश्यकतानुसार होमगार्ड व पीआरडी जवानों का सहयोग लिया जाता है। कार्यदिवस गिनकर मानदेय भुगतान से जिलों में भी तैनात कर्मियों पर भी इसका असर पड़ेगा।