समूह 'ग' में 5 वर्ष संविदा पर रखने की सिफारिश, पूर्व में इसी तरह का आया एक प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में
लखनऊ : प्रदेश में विभागीय कर्मियों की संख्या का युक्तिकरण, प्रभावशीलता व दक्षता में सुधार तथा उनके आकलन की व्यवस्था पर सुझाव देने के लिए गठित समिति ने समूह 'ग' की भर्ती पहले पांच वर्ष तक संविदा पर रखने की सिफारिश की है। पर, इस सुझाव पर फि लहाल किसी तरह की कार्रवाई की संभावना नजर नहीं आ रही है।
समिति के मुताबिक, गुजरात में डॉ. पीके दास समिति की संस्तुतियों पर समूह 'ग' व 'घ' की सेवाओं में नियमित नियुक्तियां किए जाने के पूर्व प्रथम 5 वर्ष के लिए संविदा के आधार पर कार्मिक रखे जाने की व्यवस्था 2006 में शुरू की गई थी। यूपी में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अनुकंपा नियुक्ति को छोड़कर नई नियुक्तियां न किए जाने की व्यवस्था है। आवश्यकता पर आउटसोर्सिंग से चतुर्थ श्रेणी कर्मी रखने की व्यवस्था है।
समिति ने गुजरात राज्य की तरह प्रदेश में समूह 'ग' की सेवाओं के विभिन्न पदों पर प्रथम 5 वर्ष के लिए उनकी सेवा नियमावली में शामिल शैक्षिक योग्यता व चयन प्रक्रिया के अनुसार संविदा के आधार पर नियुक्त करने की व्यवस्था की संस्तुति की है। संविदा राशि का निर्धारण राज्य सरकार में लागू व्यवस्था के अनुसार करने का सुझाव दिया गया है । उल्लेखनीय है कि पूर्व में समूह 'ख' व 'ग' के लिए इसी तरह का एक प्रस्ताव तैयार किया गया था लेकिन, विरोध के बाद में इसको ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है फिलहाल इस सिफारिश पर कार्रवाई की संभावना नजर नहीं आ रही है।
समूह 'ग' की भर्ती एनआरए से करने की संस्तुति : समिति ने केंद्र सरकार की राष्ट्रीय भर्ती संस्था ( एनआरए) के माध्यम से सामान्य अर्हता परीक्षा (सेट) की व्यवस्था लागू होने के बाद समूह 'ग' की भर्ती इसी के स्कोर से करने का सुझाव दिया है। समिति ने कहा कि इससे अभ्यर्थियों को अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं के लिए बार-बार आवेदन की आवश्यकता नहीं होगी। भर्ती में पारदर्शिता व सुविधा के साथ-साथ परीक्षाओं में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों, विशेषकर महिला अभ्यर्थियों की सुविधा होगी। उन अभ्यर्थियों के लिए भी समान अवसर उपलब्ध होंगे जो आर्थिक कारणों से विभिन्न परीक्षाओं में शामिल होने के लिए निर्धारित केंद्रों तक की यात्रा नहीं कर पाते हैं। बताते चलें सरकार केंद्र की एनआरए व्यवस्था लागू होने तक द्विस्तरीय परीक्षा प्रणाली लागू करने का फैसला कर चुकी है।
सेवाएं आउटसोर्स हों : विभाग द्वारा चिह्नित सेवाओं को आउटसोर्सिंग या पीपीपी मोड में कराने का सुझाव दिया गया है। यदि इस प्रयास के बाद भी कुछ पदों को आउटसोर्सिंग से भरने की आवश्यकता हो तो इसके जरिये कर्मचारियों को लेने के लिए एक नियमावली बनाने को कहा गया है। नियमावली सभी विभागों, स्वशासी संस्थाओं, नगरीय निकायों, सार्वजनिक उपक्रमों व निगमों के लिए प्रभावी होगी।