NPS पेंशन स्कीम से बाहर निकलना हुआ आसान, PFRDA ने e-NPS सब्सक्राइबर्स को दी बड़ी राहत
PFRDA के इस फैसले के बाद इतनी जटिल प्रक्रिया से राहत मिलेगी. अब e-NPS सब्सक्राइबर्स ऑनलाइन भी नेशनल पेंशन स्कीम से बाहर निकल पाएंगे.
PFRDA यानी पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने ई-एनपीएस (e-NPS) सब्सक्राइबर्स को नेशनल पेंशन स्कीम से बाहर निकलने के लिए ऑनलाइन विकल्प दिया है. पहले सब्सक्राइबर्स के लिए ऑफलाइन विकल्प ही था. इसमें अपनी विद्ड्रॉल रिक्वेस्ट की प्रोसेसिंग के लिए NPS अकाउंट को ISS यानी इंटर सेक्टर शिफ्टिंग के जरिए ई-NPS से बैंक POP में शिफ्ट करना होता है.
फिर विद्ड्रॉल फॉर्म्स को जरूरी डॉक्युमेंट्स के साथ वैलिडेशन के लिए बैंक-POP को शिफ्ट करना होता है. तब जाकर यह CRA एग्जिट प्रोसेस में आगे बढ़ता है. लेकिन, PFRDA के इस फैसले के बाद इतनी जटिल प्रक्रिया से राहत मिलेगी. अब e-NPS सब्सक्राइबर्स ऑनलाइन भी नेशनल पेंशन स्कीम से बाहर निकल पाएंगे.
किन पर लागू होगी प्रक्रिया
PFRDA की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, ऑनलाइन एग्जिट का यह ऑप्शन प्री-मैच्योर और सामान्य एग्जिट दोनों पर ही लागू होगा. PFRDA ने यह भी बताया है कि इस विकल्प को जल्द ही लागू कर दिया जाएगा.
रेगुलेटरी के मुताबिक, यह प्रक्रिया मौजूदा ऑनलाइन ई-एनपीएस प्लेटफॉर्म जैसी ही होगी. बता दें कि NPS अकाउंट्स खोलने के लिए बैंक-POP के ग्राहकों द्वारा पहले से ही इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जा रहा है.
NPS में दो तरह के खाते
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में दो तरह के खाते खोलने की सुविधा मिलती है. पहला टियर-1 अकाउंट पेंशन अकाउंट होता है. दूसरा यानी टियर-2 अकाउंट वॉलंटियरी सेविंग्स अकाउंट होता है. वैसे एनपीएस सब्सक्राइबर, जिनका टियर-1 अकाउंट है, वे टियर-2 अकाउंट खोल सकते हैं. इसके लिए ऑफलाइन या एनपीएस पोर्टल का इस्तेमाल किया जा सकता है.
2004 में शुरू किया गया था NPS
वर्ष 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) शुरू किया गया था. वर्ष 2009 में इसे प्राइवेट नौकरी समेत सभी कैटगरी के लोगों के लिए खोल दिया गया. इसके बादे से किसी भी व्यक्ति को अपने कामकाजी जीवन के दौरान अपना पेंशन खाता खोल पाने और उसमें नियमित रूप से योगदान देने की सुविधा मिल गई.
इस स्कीम में जमा हुई धन राशि के एक हिस्से को वह 60 साल की उम्र पर पहुंचने पर एक बार में ही निकाल भी सकता है. बाकी बची हुई राशि का इस्तेमाल रिटायरमेंट के बाद पेंशन की तरह नियमित आय पाने के लिए कर सकता है।