यूपी के सरकारी डॉक्टर ने 10 साल के अंदर नौकरी छोड़ी तो देना होगा एक करोड़ हर्जाना, शासनादेश जारी
सरकारी अस्पताल में तैनात एमबीबीएस डॉक्टर ने पीजी में दाखिला लिया। पीजी पूरी करने के बाद डॉक्टर को कम से कम 10 साल और सरकारी नौकरी करनी होगी। बीच में नौकरी छोड़ी तो एक करोड़ रुपये का हर्जाना देना होगा। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव की तरफ से नौ दिसंबर को आदेश जारी कर दिया गया। सभी अस्पतालों में आदेश पहुंच गया है।
सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों को करीब 15 हजार से ज्यादा पद सृजित हैं। करीब 11 हजार डॉक्टर तैनात हैं। ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में एक साल नौकरी करने वाले एमबीबीएस डॉक्टर को नीट पीजी प्रवेश परीक्षा में 10 अंकों की छूट दी जाती है। दो साल सेवा देने वाले डॉक्टरों को 20 और तीन साल वालों को 30 नम्बर तक की छूट दी जाती है। यह डॉक्टर पीजी के साथ डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के दाखिला ले सकते हैं। हर साल सरकारी अस्पतालों में तैनात सैकड़ों एमबीबीएस डॉक्टर पीजी में दाखिला लेते हैं।
प्रदेश सरकार को हर्जाना अदा करनी होगा
आदेश में साफ कहा गया है कि पीजी करने के बाद डॉक्टरों को कम से कम 10 साल तक सरकारी अस्पताल में सेवा देनी होगी। यदि बीच में नौकरी छोड़ना चाहते हैं तो उन्हें एक करोड़ रुपये की धनराशि प्रदेश सरकार को अदा करनी होगी। अधिकारियों को कहना सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए सरकार ने नीट में छूट की व्यवस्था की है।
कोर्स छोड़ने वाले डिबार होंगे
महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि यदि कोई डॉक्टर पीजी कोर्स अध्ययन बीच में ही छोड़ देता है। ऐसे डॉक्टरों को तीन साल के लिए डिबार कर दिया जाएगा। इन तीन सालों में वह दोबारा दाखिला नहीं ले सकेंगे।
खास बातें
● -पढ़ाई पूरी करने के बाद चिकित्साधिकारी को तुरंत नौकरी ज्वाइन करनी होगी।
● -पीजी के बाद सरकारी डॉक्टर सीनियर रेजिडेंसी नहीं कर सकते हैं। विभाग से इस दिशा में कोई भी अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया जाएगा।
●-कई सरकारी अस्पतालों में डीएनबी कोर्स चलाए जा रहे हैं। इनमें सीनियर रेजिडेंट की जरूरत होती है। ऐसे में विभाग के डॉक्टर सीनियर रेजिडेंट के रूप में उपयोग में लाए जाएंगे।