मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद बड़ा प्रशासनिक फेरबदल तय, हट सकते हैं तीन साल से एक ही जिले में तैनात हैं कई अफसर
यूपी में मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद बड़ा प्रशासनिक फेरबदल तय,हट सकते हैं तीन साल से एक ही जिले में तैनात हैं कई अफसर विधान परिषद चुनाव व विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के बाद जिलों में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल तय माने जा रहे हैं। आगामी पंचायत चुनाव के मद्देनजर इन तबादलों में आईएएस से लेकर पीसीएस अधिकारी तक शामिल होंगे। इनमें एक दर्जन से अधिक जिलों के डीएम का भी इधर से उधर होना तय माना जा रहा है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव फरवरी 2021 में संभावित हैं। चुनाव के मद्देनजर तीन वर्ष या इससे अधिक समय से तैनात अफसरों को जिलों से हटाने की अनिवार्यता है। इसके अलावा भी कुछ अफसरों का हटना तय माना जा रहा है। लेकिन वर्तमान में स्नातक व शिक्षक एमएलसी चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। सभी मंडलायुक्त व जिलाधिकारी इन चुनावों से सीधे जुड़े हैं। चुनाव प्रक्रिया 7 दिसंबर तक पूरी होनी है।
इन चुनावों के बीच ही केंद्रीय निर्वाचन आयोग के निर्देश पर विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान शुरू हो रहा है, जो 15 जनवरी को पूरा होगा। पुनरीक्षण अभियान तक चुनाव से जुड़े कर्मियों के तबादले पर रोक रहेगी। ऐसे में 15 जनवरी के बाद प्रशासनिक अफसरों के बड़े पैमाने पर तबादले तय माने जा रहे हैं।
जानकार बताते हैं कि पंचायत चुनाव के लिहाज से जनप्रतिनिधियों ने अपनी नापसंद वाले अफसरों की शिकायत व सहयोगी भूमिका वालों की पोस्टिंग कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधियों और कई पदाधिकारियों के स्तर से भी सक्षम अधिकारियों व माननीयों के पास पैरवी की जा रही है।
तबादलों में 2013 बैच के छूटे अफसरों को इंतजार
सरकार ने 2013 बैच के आईएएस अधिकारियों की जिलाधिकारी के पद पर तैनाती शुरू कर दी है। लेकिन, 31 आईएएस अफसरों में से केवल तीन को ही अब तक मौका मिल सका है। इस बैच के अफसरों को उम्मीद है कि नए तबादलों में उन्हें मौका मिल सकता है। हालांकि, इससे पुराने बैच के कई आईएएस अधिकारी भी अभी तक कलेक्टर नहीं बन पाए हैं। ये भी कलेक्टर की कुर्सी पाने के लिए प्रयासरत हैं।
कलेक्टरों के बारे में फीडबैक भी अहम
कुछेक जिलों के डीएम व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय न हो पाने की चर्चा आम है। पूर्वांचल के एक सांसद अपने जिले के डीएम के खिलाफ मोर्चा ही खोले हुए हैं। अवध के एक डीएम की अपनी छवि तो ठीक है, पर उनके खिलाफ शिकायत है कि उन्होंने अपने जिले के एक सांसद की शह पर होने वाले अवैध खनन तथा स्कूल, मंदिर व नजूल की भूमि पर कब्जों से आंखें बंद कर रखी हैं। हाथरस के डीएम को लेकर भी सरकार को फैसला करना बाकी है। विधानसभा उपचुनाव व एमएलसी चुनाव के नतीजों का असर भी तबादलों पर नजर आ सकता है।
इन अफसरों को भी तबादले का इंतजार
आईएएस से लेकर पीसीएस तक कई अधिकारी लंबे समय से नई तैनाती की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनकी अपनी समस्या है। एक सिटी मजिस्ट्रेट की तैनाती अवध के जिले में है और पति पश्चिम में तैनात हैं। बेटा कहीं और पढ़ाई कर रहा है। वह पति के निकट महत्वहीन से महत्वहीन पोस्टिंग की गुजारिश कर चुकी हैं। इसी तरह दो वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी लंबे समय से चयन आयोगों में तैनात हैं। वह वहां से हटने के लिए सक्षम अधिकारियों से कई बार गुजारिश कर चुके हैं।
एक आईएएस अधिकारी पश्चिम के मंडल में हैं और उनके पति शासन में तैनात हैं। पति को बच्चे की परवरिश करनी पड़ रही है। पति चाहते हैं कि पत्नी भी लखनऊ आ जाएं। इसी तरह परिवार में आश्रित की बीमारी व वाजिब समस्याओं वाली अर्जियों पर भी निर्णय का इंतजार है। अफसरों को लगता है कि अभी बात नहीं बनी तो 2022 के विधानसभा चुनाव तक हिल पाना मुश्किल हो जाएगा।