कर्मचारियों संग एजी ऑफिस भी हो रहा 'सेवानिवृत्त"
प्रयागराज | पिछले 158 साल से शहर की पहचान बना एजी ऑफिस कर्मचारियों के साथ धीरे-धीरे सेवानिवृत्त हो रहा है। यूपी में एक अप्रैल 2005 से नई पेंशन लागू होने के बाद 15 सालों से नया खाता नहीं खुला है और साल-दर-साल प्रदेश के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के साथ एजी ऑफिस की लेखा एवं हकदारी इकाई का दायरा सिकुड़ रहा है। 2005 में जिस समय पुरानी पेंशन समाप्त हुई उस वक्त एजी ऑफिस में जीपीएफ के लगभग 5 लाख खाते थे। जो 15 साल में घटकर तकरीबन 1.75 लाख बचे हैं। हर साल औसतन 7 से 8 प्रतिशत कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, इस लिहाज से अगले 10-15 साल में खातों की संख्या समाप्ति की कगार पर पहुंच जाएगी इसी के साथ एजी ऑफिस की लेखा और हकदारी इकाई भी सेवा पूरी करने की ओर बढ़ चलेगी।
1862 में प्रयागराज आया था एकाउंटेंट जनरल का कार्यालय
अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 1862 में नार्थ-वेस्टर्न प्रोविसेज, अवध और आगरा के एकाउंटेंट जनरल जी. तुशिंगटन ने अपना कार्यालय प्रयागराज ( तब इलाहाबाद) स्थानान्तरित किया था। उस समय रेलवे की सुविधा नहीं होने के कारण बड़ी- बडी नावों से रिकॉर्ड प्रयागराज लाया गया था।
एजी ऑफिस पिछले 158 साल से प्रयागराज की पहचान रहा है। मैं इस कार्यालय का कर्मचारी था, जिसका मुझे गर्व है। कर्मचारियों की संख्या में कटौती न हो, इसका एक तरीका यह है कि नई पेंशन योजना के तहत राज्य कर्मचारियों के जो खाते खोले गए हैं, उनके रख रखाव का काम एजी ऑफिस को दे दिया जाए। -हरि शंकर तिवारी, पूर्व अध्यक्ष एजी ऑफिस ब्रदरहुड