पंजीरी कंपनियों का एकाधिकार खत्म, 57 जिलों में टेंडर रद्द, सभी 75 जिलों में महिला स्वयं सहायता समूह तैयार करेंगे पोषाहार
महिला स्वयं सहायता समूह तैयार करेंगे पोषाहार, पंजीरी कंपनियों का 29 वर्ष से चला आ रहा एकाधिकार खत्म
प्रदेश में पोषाहार तैयार करने से लेकर आपूर्ति तक की व्यवस्था पर पंजीरी कंपनियों का करीब 29 साल से चला आ रहा एकाधिकार अब खत्म कर दिया गया है। अब सभी 75 जिलों में यह काम राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा संचालित महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) करेंगे।
आंगनबाड़ी केंद्रों को फिलहाल कच्चे अनाज के रूप में पोषाहार उपलब्ध कराया जाएगा। इस संबंध में बाल विकास सेवा पुष्टाहार विभाग की अपर मुख्य प्रमुख सचिव एस राधा चौहान ने निदेशक को एसएचजी के जरिये आंगनबाड़ी केंद्रों को पोषाहार मुहैया कराने का निर्देश दिया है। इसके मद्देनजर 57 जिलों में पोषाहार आपूर्ति के लिए हुए टेंडर को रद्द कर दिया गया है।
गौरतलब है कि पिछले साल 26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर आदेश दिया था कि पंजीरी कंपनियों के बजाय एसएचसी के माध्यम से पोषाहार आपूर्ति की व्यवस्था की जाए। इसके बावजूद प्रदेश में विभाग के अधिकारी पंजीरी कंपनियों के जरिये पोषाहार मंगाते रहे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पोषाहार आपूर्ति से संबंधित पत्रावली तलब कर ली थी। इस बीच अधिकारियों ने पोषाहार आपूर्ति के लिए दो साल पहले हुए टेंडर की अवधि समाप्त होने और नए टेंडर न होने की वजह से पुराने टेंडर के आधार पर पोषाहार की आपूर्ति अवधि चार महीने के लिए बढ़ा दी थी। इसकी अवधि 31 अगस्त को खत्म हो गई है।
इधर, मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभाग ने तय किया कि प्रयोग के तौर पर फिलहाल 18 जिलों में पोषाहार तैयार करने का काम एसएचजी को और शेष 57 जिलों में पंजीरी कंपनियों को दे दिया जाए। पिछले महीने इन 57 जिलों में टेंडर करा लिया गया। इसे 14 सितंबर को खोला गया। इसी दौरान राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का संज्ञान लेते हुए सभी 75 जिलों में एसएचजी के जरिये पोषाहार तैयार कराने का फैसला कर लिया। इसके बाद विभाग ने 57 जिलों में हुए टेंडर को रद्द कर दिया है। इससे पोषाहार आपूर्ति व्यवस्था से पंजीरी कंपनियों का एकाधिकार खत्म हो गया है।
पोषाहार उत्पादन इकाइयों की स्थापना में लगेंगे कम से कम दो साल
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का कहना है कि सभी एसएचजी के स्तर पर पोषाहार उत्पादन इकाई लगाने में कम से कम दो साल का समय लगेगा। इसके मद्देनजर विभाग ने तय किया है कि उत्पादन इकाइयों की स्थापना तक एसएचजी पोषाहार के लिए खड़ा अनाज (होम टेक राशन) के रूप में चावल व गेहूं और दूध पाउडर उपलब्ध कराएगा। एसएचजी को अनाज एफसीआई और दूध पाउडर पीसीडीएफ मुहैया कराएगा।
नई व्यवस्था के लिए शासन स्तर पर बनेगी समिति
पोषाहार आपूर्ति की नई व्यवस्था को संचालित करने के लिए शासन स्तर पर एक अंतरविभागीय समिति का गठन होगा। इसमें बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार के अलावा ग्राम्य विकास, दुग्ध विकास व खाद्य एवं रसद विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव या निदेशक स्तर के अधिकारी होंगे। निदेशक एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) समिति के संयोजक होंगे। पोषाहार की गुणवत्ता, दायित्व का निर्धारण, आपूर्ति की समयसीमा आदि समिति के स्तर पर तय किया जाएगा।
इनका कहना -
नई व्यवस्था लागू होने से विभाग में वर्षों से व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने में मदद मिलेगी। इससे विभाग की छवि बदलेगी और लाभार्थियों को भी बेहतर गुणवत्ता वाले पोषाहार मिलेंगे।
-एके पांडेय, अध्यक्ष, प्रांतीय बाल विकास परियोजना अधिकारी वेलफेयर एसोसिएशन