यूपी में बोनस पर अब तक फैसला नहीं, आज न हुआ निर्णय तो दीवाली के पहले हो सकती है घोषणा।
केंद्र ने अपने कर्मचारियों के लिए दशहरा त्योहार से पहले बोनस का एलान कर दिया लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों को बोनस देने पर अभी फैसला बाकी है। दशहरे से पहले केवल एक कार्यदिवस बाकी है। ऐसे में बोनस पर निर्णय दीवाली के आसपास ही होने की संभावना जताई जा रही है।
प्रदेश सरकार अराजपत्रित कर्मचारियों को कभी दशहरा व कभी दीवाली के पहले बोनस देती रही है। इस बार केंद्र ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सुस्त पड़े बाजार में खरीदारी बढ़ाने के लिए दशहरा त्योहार के पहले ही बोनस का एकमुश्त भुगतान का एलान किया है। उम्मीद की जा रही थी कि प्रदेश सरकार भी केंद्र सरकार की तरह अपने कर्मचारियों के बोनस का भुगतान दशहरा से पहले कर देगी। कर्मचारी दशहरे से पहले ही केंद्र की तरह बोनस का पूरा नकद भुगतान चाहते हैं।
पर, शासन स्तर पर बृहस्पतिवार को इस संबंध में कोई फैसला नहीं हो पाया। अब शासन स्तर पर दशहरा से पहले केवल शुक्रवार एक ही कार्यदिवस बाकी है। ऐसे में यदि शुक्रवार को भी इस पर फैसला नहीं हुआ तो कर्मचारियों को दीवाली तक बोनस का इंतजार करना पड़ सकता है। बोनस के दायरे में समूह घ, ग के सभी तथा समूह ख के अराजपत्रित कर्मी आते हैं। प्रदेश में करीब 14.24 लाख कर्मचारियों को एक माह का बोनस मिलता है। बोनस भुगतान पर करीब 967 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च आता है।
पूरा बोनस नकद दें या कम, इस निर्णय पर नजर
प्रदेश के वित मंत्री सुरेश कुमार खन्ना बोनस भुगतान का पहले ही स्पष्ट संकेत कर चुके हैं। लेकिन यह तय होना बाकी है कि इसका भुगतान केंद्र सरकार की तरह दशहरा के पहले हो या दीवाली से पहले। इसके अलावा यह भी बड़ा निर्णय होना है कि कर्मचारियों को बोनस का पूरा एकमुश्त भुगतान किया जाए या पूर्व की तरह दो तिहाई हिस्सा जीपीएफ में व एक तिहाई नकद दिया जाए अथवा कोई अन्य फॉर्मूला तय किया जाए।
पिछले वर्ष एक चौथाई हिस्सा ही मिला था नकद
तदर्थ बोनस के रूप में एक महीने के वेतन के रूप में अधिकतम 7000 रुपये दिए जाने की व्यवस्था है। सरकार 30 दिन की परिलब्धियां 6908 रुपये मानकर भुगतान करती है। पिछले कई वर्ष से सरकार बोनस का कुछ हिस्सा जीपीएफ में जबकि कुछ नकद देती रही है। पिछले साल बोनस का 75 प्रतिशत हिस्सा जीपीएफ में व 25 प्रतिशत नकद भुगतान किया गया था।