बिजली विभाग के निजीकरण का फैसला वापस लेने को सरकार तो राजी पर चेयरमैन ने फंसाया पेच, हड़ताल खत्म होने के आसार नहीं
बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में सोमवार को कार्य बहिष्कार किया। इसके चलते जहां-जहां बिजली गई, वहां उसकी मरम्मत का कोई इंतजाम नहीं था। इस हड़ताल के चलते ऊर्जा मंत्री ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस ले लिया है। हालांकि यूपी पावर कारपोरेशन और विद्युत कर्मचारियों के बीच अभी सहमति नहीं बन पाई है।
● सरकार ने मानीं बिजली कर्मचारियों की मांगें, निजीकरण से पीछे हटने को तैयार
● ऊर्जा मंत्री ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लिया
● हालांकि यूपीपीसीएल और विद्युत कर्मचारियों के बीच अभी सहमति नहीं बन पाई
● ऊर्जा मंत्री के निर्देश के बावजूद UPPCL चेयरमैन ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए
लखनऊ
उत्तर प्रदेश में सोमवार को लगभग पूरे प्रदेश की जनता बिजली कटौती से परेशान रही। जहां-जहां बिजली गई, वहां उसकी मरम्मत का कोई इंतजाम नहीं था। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने सोमवार को पूरे दिन कार्य बहिष्कार किया। हालांकि उनके इस आरपार के आंदोलन का असर हुआ है और ऊर्जा मंत्री ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस ले लिया है।
सोमवार शाम ऊर्जा मंत्री के साथ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों की बैठक हुई जिसमें उन्होंने अपनी मांगें रखीं। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कर्मचारियों के बीच जाकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की घोषणा की और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए।
ऊर्जा मंत्री के निर्देश के बावजूद चेयरमैन ने नहीं किए हस्ताक्षर
हालांकि यूपी पावर कारपोरेशन और विद्युत कर्मचारियों के बीच अभी सहमति नहीं बन पाई है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के निर्देश के बावजूद यूपीपीसीएल चेयरमैन ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए। चेयरमैन ने सहमति पत्र पर विचार करने के लिए समय मांगा है। इस तरह अभी बिजलीकर्मियों की हड़ताल जारी रहने की आशंका है।
बिजली विभाग के कर्मचारियों की क्या हैं मांगें?
निजीकरण की सुगबुगाहट के बीच बिजली विभाग के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे। उनकी पहली मांग ही यही है कि बिजली विभाग के भीतर कोई कमियां हैं तो सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, मगर बिना कर्मचारियों और इंजिनियरों को विश्वास में लिए कहीं कोई निजीकरण नहीं होगा। कर्मचारी संगठन ने आश्वस्त किया कि बिलिंग, कलेक्शन और उपभोक्ता सेवाओं में सुधार के लिए उठाए जाने वाले हर कदम में वे सरकार के साथ हैं। इसके अलावा उनकी मांग है कि इस आंदोलन के चलते किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई न की जाए।
बिजली कटौती से दिनभर बेहाल रहे लोग, शिकायतों से भरा सोशल मीडिया
हड़ताल के चलते ऊर्जा विभाग और जिला प्रशासन ने बिजली सप्लाई बहाल रखने के लिए पुलिस के पहरे के साथ कई वैकल्पिक इंतजाम किए, लेकिन फॉल्ट के आगे सभी फेल हो गए। सोशल मीडिया और खासकर ट्विटर बिजली कटौती की शिकायतों से भरा पड़ा है। मगर ऊर्जा मंत्री से लेकर, अधिकारियों और सांसद-विधायकों के पास इन शिकायतों का कोई जवाब नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया तक बिजली कटौती से हाहाकार मचा है। कई जगह बिजली कटौती के 20-24 घंटे बीत गए हैं, मगर कोई सुध लेने वाला नहीं है।