कर्मचारी मुआवजा कानून में संशोधन का लाभ पूर्व से नहीं : हाईकोर्ट
संशोधन की तिथि से पहले के मामलों में नहीं मिलेगा बढ़ी दर से मुआवजा
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी मुआवजा अधिनियम में जनवरी 2020 में हुए संशोधन का लाभ संशोधन तिथि के पहले के मामलों में नहीं दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट किया है कि संशोधन का भूतलक्षी प्रभाव नहीं होगा। कानपुर के कप्तान सिंह की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने दिया।
याची का कहना था कि सरकार ने मृतक कर्मचारी की आय की गणना 8,000 मासिक करते हुए उसके आधार पर मुआवजा तय किया है। जबकि कर्मचारी 12,000 मासिक प्राप्त करता था। उसे राज्य सरकार द्वारा कुशल श्रमिकों के लिए तय न्यूनतम पारिश्रमिक के अनुसार मुआवजा मिलना चाहिए। आप यह खबर शासनादेश डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। मगर ऐसा नहीं किया गया। कोर्ट का कहना था कि केंद्र सरकार को कर्मचारी मुआवजा अधिनियम में संशोधन का अधिकार प्राप्त है। इसका प्रयोग करते हुए उसने 3 जनवरी को जारी अधिसूचना के द्वारा कुशल श्रमिकों का न्यूनतम पारिश्रमिक 15,000 कर दिया है। मगर यह संशोधन गजट में प्रकाशित होने की तिथि से ही लागू माना जाएगा और इसका लाभ भविष्य में आने वाले मामलों में मिलेगा।