नौकरियों में संविदा के प्रस्ताव पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, अखिलेश और प्रियंका ने जताया विरोध
लखनऊ : सरकारी नौकरी की शुरुआत में पांच वर्ष की संविदा के प्रस्ताव ने सूबे की सियासत में हलचल मचा दी है। बेरोजगारी के विषय को लगातार उठा रहे विपक्ष ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लपका है। सरकार के इस प्रस्ताव को युवा विरोधी करार देते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2022 में सबक सिखाने की चेतावनी दे डाली है तो कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने दो टूक कहा है कि युवाओं का आत्मसम्मान नहीं छीनने देंगे।
सपा अध्यक्ष अखिलेश ने कहा है कि युवाओं के प्रति भाजपा का रवैया शुरू से ही संवेदनाशून्य रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि समूह ‘ख’ व ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है, जिससे सरकारी नौकरियों में भी ठेका प्रथा लागू हो जाएगी। परीक्षा के जरिये चुने गए अभ्यर्थी पांच वर्ष की कठिन संविदा प्रक्रिया में छंटनी से जब बच पाएंगे, तभी पक्की नौकरी मिल पाएगी। संविदा काल में कर्मचारी पूरी तरह बंधुआ बनकर रहेगा। वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने ट्वीट किया- युवा नौकरी की मांग करते हैं और यूपी सरकार भर्तियों को पांच साल के लिए संविदा पर रखने का प्रस्ताव ला देती है। जले पर नमक छिड़क कर युवाओं को चुनौती दी जा रही है। गुजरात में यही फिक्स पे सिस्टम है। वर्षों सैलरी नहीं बढ़ती, परमानेंट नहीं करते। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने इसे युवाओं के साथ ऐतिहासिक अन्याय ठहराया है।
’>> सपा मुखिया अखिलेश ने दी 2022 में सबक सिखाने की चेतावनी
’>> कांग्रेस की प्रियंका बोलीं, नहीं छीनने देंगे युवाओं का आत्मसम्मान
पांच साल संविदा, फिर पक्की होगी सरकारी नौकरी
राज्य सरकार सभी सरकारी विभागों में समूह ’ख’ और ’ग’ के पदों की भर्तियों में पहले पांच वर्षों के दौरान कर्मचारियों को संविदा के आधार पर नियुक्त करने पर विचार कर रही है। संविदा की अवधि के दौरान ऐसे कार्मिकों को राज्य सरकार की ओर से नियत वेतन दिया जाएगा। इस अवधि में उन्हें नियमित सरकारी कार्मिकों को मिलने वाले सेवा संबंधी लाभ नहीं दिए जाएंगे। संविदा अवधि के दौरान कार्मिक के प्रदर्शन का प्रत्येक छमाही में मूल्यांकन होगा। मूल्यांकन में प्रतिवर्ष 60 फीसद से कम अंक पाने वाले कार्मिक सेवा से बाहर कर दिए जाएंगे। संविदा अवधि को शर्तों के अनुसार पूरा करने वालों को ही मौलिक नियुक्ति दी जाएगी।