कैग : कर्मचारियों की पेंशन को अपना पूरा अंशदान समय से जमा करे राज्य सरकार।
2018-19 के वित्तीय वर्ष में 530.59 करोड़ रूपये का शासकीय अंशदान जमा नहीं हुआ। राज्य मुख्यालय नियंत्रक महालेखा परीक्षक की 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष की प्रदेश सरकार के वित्त स्थिति पर आई आडिट रिपोर्ट में संस्तुति की गयी है कि सरकार को यह सुनिश्चत करना चाहिए कि अंशदायी पेंशन योजना व राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत कर्मचारियों के अंशदान की कटौती पूरी तरह से की जाए।
सरकार द्वारा पूर्ण अंशदान दिया जाए और इन्हें नेशनल सिक्योरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के माध्यम से नामित निधि प्रबंधन को समयबद्ध तरीके से पूरी तरह से स्थानांतरित किया जाए। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश सरकार द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार सरकारी कर्मचारियों द्वारा मूल वेतन व महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत अपनी ओर से और इतना ही अंशदान प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है, जिससे अंशदायी पेंशन योजना (डीसीपीएस/एनपीएस) संचालित होती है।
प्रदेश सरकार द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार दोनों अंशदानों को शुरुआत में पब्लिक एकाउंट के तहत शासकीय सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं और स्वायत्तशासी निगम के कर्मचारियों के लिए और सरकारी कर्मचारियों के लिए जमा किया जाता था। उसके बाद महीने के अंशदान की पूरी धनराशि को अगले महीने तक ट्रस्टी बैंक को स्थानांतरित किया जाता था। मगर राज्य सरकार ने उपरोक्त प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन नहीं किया। राज्य सरकार ने वित्तीय वष्र 2018-19 में अशंदायी पेंशन योजना के तहत शासकीय अंशदान के रूप में 1768.40 करोड़ रुपये का व्यय किया। इसमें से 1,221.40 करोड़ सरकारी कर्मचारियों के लिए और 547 करोड़ सरकारी सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं के कर्मचारियों के लिए था। इसके मुकाबले वर्ष 2018-19 में राज्य सरकार द्वारा मात्र 1237.81 करोड़ शासकीय अंशदान के रूप में जमा किया गया। इसमें सरकारी कर्मचारियों के लिए 1215.17 करोड़ रुपये और सरकारी सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं के कर्मचारियों के लिए 22.64 करोड़ रुपये थे।
रिपोर्ट कहती है कि सरकार की ओर से पूरी राशि जमा न किए जाने के कारणों से अवगत नहीं करवाया गया। इस तरह से 530.59 करोड़ रुपये का शासकीय अंशदान अशंदायी योजना के लिए तय लेखे में अंतरित नहीं किया गया था। हालांकि एकाउंट में यह राजस्व व्यय के रूप में अंकित था।