सहकारिता विभाग में सपा शासन में भर्ती हुए कर्मियों की वेतनवृद्धि व स्थायीकरण पर रोक, कर्मचारियों ने विरोध जता आदेश वापस लेने की मांग
सहकारिता विभाग में सपा सरकार के दौरान भर्ती हुए कर्मचारियों की बेतनवृद्धि ब स्थायीकरण पर रोक लगा दी गई है। संबंधित संस्थाओं के प्रबंध निदेशकों की तरफ से अलग-अलग तारीखों में यह रोक लगाई गई है। सहकारी ग्राम्य विकास बैंक में 31 जुलाई को आदेश जारी कर 2015-16 बैच के कर्मचारियों की वेतनवृद्धि व स्थायीकरण रोका गया हैं। दरअसल, सपा सरकार में सहकारी संस्थागत सेवा मंडल की ओर से बर्ष 2012 से 2017 के बीच जिला सहकारी बैंकों, सहकारी ग्राम्य विकास बैंक और पीसीएफ सहित अन्य संस्थाओं में की गई भर्तियों की एसआईटी जांच अभी चल रही है।
इस दौरान भर्ती कर्मियों की वेतनवृद्धि व स्थायी करने पर रोक लगाई गई है। सहकारी ग्राम्य बिकास बैंक कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री मो. आसिफ जमाल ने सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के प्रबंध निदेशक और कोऑपरेटिव. de win एसोसिएशन के महामंत्री बिजय सक्सेना ने अपर मुख्य सचिव सहकारिता तथा आयुक्त सहकारिता को पत्र लिखकर इसे नियमों के विपरीत बताया है। उन्होंने लिखा है कि असंतुष्ट होने पर कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि एक वर्ष बढ़ाई जा सकती है, पर वार्षिक वेतनव॒द्धि और स्थायीकरण पर गणेक नहीं लगाई जा सकती। उन्होंने आदेश को वापस लेने की मांग की है।
दोनों संगठनों ने तर्क दिया है कि वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगाना सहकारी सेवा नियमावली 1975 के नियम 84 (1) बी के अंतर्गत बृहद दंड है। अभी जांच पूरी नहीं हुई है और यह भी नहीं तय हुआ कि किसकी नियुक्ति गलत तरीके से की गई है, तब इस तरह का दंड अनुचित तथा प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है। दोनों संगठनों ने दाबा किया कि वेतनवृद्धि और स्थायीकरण पर रोक लगाने का आदेश प्रबंध निदेशकों की तरफ से दिया जा रहा है। सरकार ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है।