लखनऊ। शासन ने समाज कल्याण विभाग में पिछले 20 साल में मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने वालों के रिकॉर्ड की जांच कराने का निर्णय लिया है। हाल ही में विभाग में मृतक आश्रित श्रेणी में गलत ढंग से नियुक्ति पाने वाले 2 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की गई हैं, जबकि दो अन्य के खिलाफ जांच प्रारंभ की गई है। ये मामले सामने आने पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है।
समाज कल्याण विभाग में मृतक आश्रित कोटे में नौकरी देने में हैरतअंगेज कारनामे सामने आए हैं। एक बर्खास्त अधिकारी के बेटे को मृतक आश्रित के रूप में नौकरी दे दी गई, जबकि एक अन्य मामले में माता-पिता दोनों के सरकारी सेवा में होने पर भी स्त्री को इस कोटे का लाभ दिया गया। पिता की मृत्यु होने पर उसे पर्यवेक्षक के पद पर नियुक्ति दे दी गई। माता-पिता दोनों के सरकारी सेवा में होने पर इस योजना का लाभ नहीं मिल सकता है। इस तरह से नौकरी पाने वाले दो अन्य मामलों में भी जांच की जा रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की मिलीभगत से ही ये गड़बड़ियां हुई हैं। इसलिए इन मामलों में संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी और गलत ढंग से नौकरी पाने वालों से वेतन की बिक्री भी की जाएगी।
1999 से लेकर अब तक विभाग में करीब 30 लोगों को इस योजना का लाभ दिया गया है। इस बारे में संपर्क किए जाने पर अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह ने बताया कि पिछले 20 साल में जिन्होंने भी मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाई है, उनके रिकॉर्ड की जांच करवाई जा रही है।