10 साल से अधिक समय से तैनात लिपिकों की तैयार की जा रही सूची
वर्षों से निदेशालय में तैनात, कुछ समय के लिए दूसरे जिले में रहने के बाद दोबारा आकर जमे
लखनऊ। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) निदेशालय में 15 से 20 साल से जमे लिपिकों की तैनाती अवधि की गणना में भी बाबुओं के काकस ने खेल करते हुए कार्यकाल का कम दिखा दिया है। बाबुओं के काकस ने पूरे विभाग के सिस्टम को अपने कब्जे में कर रखा है। इस वजह से पूर्व में कई निदेशक उन पर हाथ नहीं डाल सके थे। अब निदेशालय से लेकर शासन तक अधिकारी बदल गए हैं और उन्होंने सिस्टम में सुधार की कवायद शुरू कर दी है।
प्रमुख सचिव के निर्देश पर नई निदेशक डॉ. सारिका मोहन ने उन लिपिकों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए थे, जो पिछले 10 साल से अधिक समय से निदेशालय में तैनात हैं। निदेशालय में कुछ लिपिक 1995 से तो कुछ 2003-04 से ही तैनात हैं, लेकिन बीच में एक-दो साल के लिए किसी दूसरे जिले में रहने के बाद वापस दोबारा निदेशालय में आकर जमे हैं। ऐसे लिपिकों ने सूची में अपने पहले कार्यकाल को छिपाकर दूसरे कार्यकाल को ही दिखा दिया है। बहरहाल ऐसे सभी लिपिकों की सूची तैयार कर ली गई है। इसे जल्द शासन को भेजा जाएगा।
निदेशालय में लिपिक संवर्ग के कुल 8 पद स्वीकृत हैं, लेकिन मौजूदा समय में यहां 50 लोग तैनात हैं। इस प्रकार करीब 42 कार्मिक ऐसे हैं, जिनकी या तो निदेशालय में तैनाती है या खुद को संबद्ध कराए हुए हैं। इनमें कनिष्ठ लिपिक, वरिष्ठ सहायक व प्रधान सहायक के अलावा प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं। हालांकि कार्यभार संभालने के साथ ही नई निदेशक ने एक सीडीपीओ सहित 18 कर्मियों की संबद्धता समाप्त करते हुए उन्हें मूल तैनाती स्थल पर भेज दिया है। फिर भी लिपिकीय संवर्ग के 30 कर्मचारी बच गए हैं, जिनकी सूची तैयार की गई है।
दो लेखाकारों को हटाने की संस्तुति
निदेशक डॉ. सारिका मोहन ने वर्षों से निदेशालय में तैनात लेखाकारों हरि बाबू और दीपक कन्नौजिया को हटाने की संस्तुति की है। आंतरिक लेखा परीक्षा को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि निदेशालय में लेखाकार का पद ही नहीं है तो इनका यहां क्या काम है। इसलिए इन्हें हटाकर उन स्थानों पर तैनात किया जाए जहां लेखाकार का पद है।