कुएं, नदी, नहर तालाब में डूबने से मृत्यु को भी राज्य आपदा घोषित करने का प्रस्ताव
प्रदेश में नाव दुर्घटना के बाद डूबने, बोरवेल में गिरने और सीवर सफाई के दौरान मृत्यु पर तो मुआवजे की व्यवस्था है लेकिन नदी, तालाब, नहर, नाले व गड्ढे में डूबने से मृत्यु पर मुआवजे की व्यवस्था नहीं है। हर वर्ष इस तरह की बड़ी संख्या में मृत्यु हो रही है। अब इस तरह की मृत्यु को भी आर्थिक सहायता के दायरे में लाने की जरूरत महसूस की जा रही है।शासन स्तर पर इस पर विचार विमर्श शुरू हो गया है। राज्य आपदा घोषित होने पर पीड़ित परिवारों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा सकेगी।
हाल में रामपुर के कोसी नदी में नहाने गए दो युवक डूब गए। दोनों की मृत्यु हो गई। इसी तरह जौनपुर में मछली मारने के लिए नदी में जाल लगा रहा युवक डूब गया और उसकी भी मृत्यु हो गई। इसी तरह पिछले वर्ष प्रतापगढ़ में तालाब में नहाते समय चार बच्चों व फर्रुखाबाद में नदी में डूबने से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी।
जानकार बताते हैं कि प्रदेश में हर वर्ष इस तरह डूबने से 200-250 लोगों की मृत्यु हो जाती है। कई परिवारों को अचानक कमाऊ सदस्य खो देना पड़ता है और कई परिवारों का भविष्य ही अंधकारमय हो जाता है। मगर, राज्य आपदा घोषित न होने से सरकार ऐसे परिवारों को किसी तरह की आर्थिक सहायता नहीं कर पाती है। इन घटनाओं के पीड़ित परिवारों को किसी तरह की मदद नहीं दी जा सकी। जानकार बताते हैं कि इस वर्ष से केंद्र सरकार ने प्रदेश की राज्य आपदा मोचक निधि का आवंटन करीब तीन गुना तक बढ़ा दिया है।
ऐसे में सरकार चाहे तो मौजूदा घोषित राज्य आपदाओं से इतर इस तरह की घटनाओं को राज्य आपदा घोषित कर पीड़ित परिवारों के दु:ख में सहभागी बन सकती है। इस संबंध में राहत आयुक्त संजय गोयल ने बताया कि प्रदेश में 22 तरह की आपदाओं को केंद्रीय आपदा व 18 तरह की आपदाओं को राज्य आपदा घोषित किया गया है।
कुएं, नदी, तालाब आदि में डूब कर मृत्यु इस दायरे में नहीं है। सरकार ऐसी घटनाओं को लेकर पूरी तरह संवेदनशील है और कुएं, नदी, तालाब, नहर, नाले व गड्ढे में डूब कर होने वाली मृत्यु को राज्य आपदा घो षित करने पर विचार किया जा रहा है। इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है। राहत आयुक्त ने बताया कि बिहार में इस तरह की घटनाएं राज्य आपदा के दायरे में हैं। शासन इस पर विस्तृत विचार-विमर्श कर निर्णय करेगा।