वकील पेश हो या ना हो फैसला देना होगा : सुप्रीम कोर्ट
निर्देश
● शीर्ष अदालत के इस फैसले से गरीब लोगों को राहत मिली
● कहा, अदालत में अपील को खारिज नहीं कर सकतीं
आपराधिक मामले में सजा के खिलाफ अपील दाखिल होने के बाद यदि अभियोजन और बचाव पक्ष के वकील पेश हों तो अपील खारिजना करें,उसे मेरिट पर विचार करके फैसला दें। शीर्ष अदालत के इस फैसले से गरीब लोगों को राहत मिली है जिनके पास वकील की सेवाएं लेने के लिए संसाधन नहीं हैं। अब उनकी जेल से भेजी गई अपील याचिकाओं पर बिना वकील के भी सुनवाई हो सकेगी। शीर्ष अदालत ने फैसला देते हुए सभी उच्च न्यायालयों को यह निर्देश दिया है। साथ ही मामले को इस निर्देश के साथ मद्रास उच्च न्यायालय को वापस भेज दिया कि मसले को फिर से मेरिट पर सुना जाए।
जस्टिस आरएफ नरीमन की तीन जजों की पीठ ने इसके साथ ही अभियुक्त को जमानत भी दे दी जो 11 साल से जेल में था। कोर्ट ने कहा कि इस बारे में पहले से बनी सिंह केस में दिशानिर्देश जारी हैं। उच्च न्यायालय अभियोजन पक्ष के वकील की स्थिति में अपील को मेरिट पर जांचे बिना निरस्त नहीं करेंगे। यदि दोनों पक्ष के वकील मौजूद नहीं हैं तो अपील कोर्ट केस को स्थगित करने के लिए बाध्य नहीं है। राज्य के खर्च पर वकील नियुक्त कर सकता है: कोर्ट मामले को गुण दोष के आधार पर सुनेगा और ट्रायल कोर्ट के फैसले को देखने के बाद मामले का निस्तारण करेगा।
यदि अभियुक्त जेल में बंद है और उसका वकील पेश नहीं हो रहा तो कोर्ट अभियुक्त को पेश होने के लिय मौका देगा व केस स्थगित करेगा। कोर्ट यह भी कर सकता है कि पेश नहीं होने पर राज्य के खर्च पर वकील भी नियुक्त कर सकता है।