उत्तर प्रदेश सरकारी संपत्ति प्रबंधन एवं निस्तारण अधिनियम -2020 लाने की तैयारी, सरकारी संपत्तियों के लिए जल्द नया कानून
राज्य सरकार नजूल के साथ शासकीय जमीनों के निस्तारण और उसके रख-रखाव यानी प्रबंधन के लिए जल्द नया कानून लाने जा रही है। प्रदेश में ऐसी जमीनों के रखाव व निस्तारण के लिए कोई कानून नहीं है। शासनादेश के सहारे काम चलाया जा रहा है। इसीलिए 'उत्तर प्रदेश सरकारी संपत्ति प्रबंधन एवं निस्तारण अधिनियम-2020' लाने की तैयारी है। राजस्व विभाग ने इसका प्रारूप तैयार कर लिया है और जल्द ही इसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जा सकता है।
इन पर प्रभाव पड़ेगाः इस अधिनियम के दायरे में सरकार के किसी भी विभाग द्वारा जारी किए गए पट्टे आएंगे। ये सभी इस अधिनियम की शर्तों और नियमों के अधीन नियंत्रण किए जाएंगे। इस अधिनियम की उप धारा (1) के अधीन किए गए पट्टे आएंगे। इसके साथ ही विधि के किसी नियम, परिनियम या विधान मंडल के किसी अधिनियम में प्रतिकूल किसी चीज के होते हुए भी सरकार के नियंत्रण के अधीन रहते हुए विभागीय नियमों के अनुसार प्रभावी होंगे। ये दायरे से बाहर होंगेः इस अधिनियम के दायरे से उत्तर प्रदेश काश्तकारी अधिनियम 1939 बाहर होगा। इसी तरह आगरा काश्तकारी अधिनियम-1926 और उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम-1950 के साथ राजस्व संहिता अधिनियम-2006 बाहर होंगे।
विवादों का जल्द होगा निपटारा
प्रदेश में ग्राम समाज की जमीनों के रख-रखाव और उसके निस्तारण के लिए राजस्व संहिता तो है, लेकिन इसके अलावा अन्य शासकीय जमीनों के संबंध में कोई अधिनियम नहीं है। राज्य सरकार शासकीय और काजल की जमीनों के रख-रखावव निस्तारण के लिए अलग से कानून चाहती है, जिससे अड़चनें दूर हो सकें। संपत्ति प्रबंधन एवं निस्तारण अधिनियम में इसी की व्यवस्था की जा रही है। इसके आने के बाद प्रदेश में शासकीय और नजूल की जमीनों को लेकर चल रहे विवादों का समाधान हो सकेगा।