10 जांच व खुफिया एजेंसियों को PAN और बैंक अकाउंट संबंधित जानकारी देगा आयकर विभाग
आयकर विभाग (Income Tax Department) द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के साथ सूचना नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) के जरिये पैन और बैंक अकाउंट संबंधी जानकारियों का आदान-प्रदान किया जाएगा. कर विभाग और नेटग्रिड के बीच पहले से पैन संबंधी सूचना साझा करने का समझौता है.
नई दिल्ली. आयकर विभाग (Income Tax Department) एकीकृत अतंकवाद निरोधी मंच NATGRID के तहत CBI और NIA समेत 10 जांच और खुफिया एजेंसियों के साथ किसी भी इकाई का पैन और बैंक खाता समेत अन्य ब्योरा साझा करेगा. एक आधिकारिक आदेश में यह कहा गया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 21 जुलाई के आदेश में कहा कि स्थायी खाता संख्या, कर कटौती और संग्रह खात संख्या (TAN), बैंक खाते का ब्योरा, आयकर रिटर्न की जानकारी तथा स्रोत पर कर कटौती समेत द्वपिक्षीय आधार पर सहमति वाली सूचना 10 एजेंसियों के साथ साझा की जाएगी.
क्यों लिया जा रहा ये फैसला?
केंद्रीय एजेंसियों के साथ सूचना नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नेटग्रिड) के जरिये आदान-प्रदान किया जाएगा. वास्तविक समय के आधार पर आव्रजन, बैंक, व्यक्तिगत करदाताओं, हवाई और ट्रेन यात्रा जैसे आंकड़े और गोपनीय सूचनाओं तक पहुंच के साथ संदिग्धों का पता लगाने और आतंकवादी हमलों को रोकने को लेकर एक मजबूत व्यवस्था की परिकल्पना की गयी है.
ये हैं वो 10 एजेंसियां
ये 10 एजेंसियां हैं...केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), राजस्व खुफिया निदेशालय, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, मंत्रिमंडल सचिवालय, खुफिया ब्यूरो (IB), जीएसटी खुफिया महानिदेशालय, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, वित्तीय खुफिया इकाई और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA).
ये एजेसिंया पूर्व में की गयी कानूनी व्यवस्था के तहत वास्तविक समय पर नेटग्रिड आंकड़ा प्राप्त करने के लिये अधिकृत हैं. आदेश के अनुसार सीबीडीटी और नेटग्रिड ताजा सूचना साझा व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिये सहमति पत्र पर दस्तखत करेंगे.
गोपनीय तरीके से साझा होंगे आंकड़े
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कर विभाग और नेटग्रिड के बीच पहले से पैन संबंधी सूचना साझा करने का समझौता है. नया कदम सभी जांच और खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर और गोपनीय तरीके से आंकड़े साझा करने की दिशा में पहल है ताकि वे परिस्थित को अच्छी तरह से समझते हुए देश के समक्ष सशस्त्र, वित्तीय या साइबर हमले का प्रभावी तरीके से मुकाबला कर सके.
वर्ष 2008 में मुंबई हमले के बाद नेटग्रिड परियोजना शुरू हुई. उस हमले ने इस बात को सामने लाया कि सुरक्षा एजेंसियों के पास वास्तविक समय पर महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त करने की कोई व्यवस्था नहीं है. सुरक्षा पर मंत्रिमंडल की समति ने आठ अप्रैल 2010 को 3,400 करोड़ रुपये की लागत वाली नेटग्रिड परियोजना को मंजूरी दी.