आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं - सुप्रीम कोर्ट ने NEET प्रवेश के मामले में की टिप्पणी
नयी दिल्ली,11जून। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आरक्षण पर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। इस टिप्पणी के साथ ही अदालत ने उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी को 50 फीसदी आरक्षण दिए जाने की अपील की थी।
नीट में 50 फीसदी ओबीसी कोटे पर सुनवाई, याचिकाओं पर विचार करने से कोर्ट का इनकार
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने कहा कि कोई भी आरक्षण के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का दावा नहीं कर सकता है। आरक्षण देने से इनकार करना किसी भी संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता । रिजर्वेशन मौलिक अधिकार नहीं, बल्कि यह आज का कानून है।
सुप्रीम कोर्ट में डीएमके, सीपीएम, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी, सीपीआई ने याचिका दाखिल की थी और कहा था कि मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी से के लिए आरक्षण की व्यवस्था ना होना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। राजनीतिक दलों ने की थी याचिका राजनीतिक पार्टियों ने केंद्र द्वारा ऑल इंडिया कोटा के तहत तमिलनाडु में अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल और डेंटल कोर्स में ओबीसी को 50 प्रतिशत कोटा ना दिए जाने के फैसले का विरोध किया था। इसमें कहा गया था कि याचिका पर फैसला आने तक कॉलेजों में नीट के तहत हो रही काउंसिलिंग पर रोक लगायी जाए।
पॉलिटिकल पार्टियों ने याचिका में कहा था तमिलनाडु में ओबीसी, एससी, एसटी के लिए 69प्रतिशत रिजर्वेशन है। इसमें ओबीसी का हिस्सा 50प्रतिशत है। याचिका में कहा गया कि ऑल इंडिया कोटा के तहत तमिलनाडु को दी गई सीटों में से 50 प्रतिशत पर ओबीसी कैंडिडेट्स को एडमिशन दिया जाना चाहिए।