आयकर मामलों के जानकार और सीए गिरीश नारंग का कहना है कि सरकार ने भले बीते वित्त वर्ष के लिए निवेश की अवधि 30 जून तक बढ़ा दी है, लेकिन इसकी सीमा पहले से तय निवेश राशि के दायरे में होनी चाहिए।
मसलन, आयकर की वित्त वर्ष केतय दायरे में होना धारा 80सी के तहत चाहिए निवेश किसी वित्तीय वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख तक के निवेश पर ही कर छूट का दावा पेश कर सकते हैं।
अगर कोई करदाता इस धारा के तहत 31 मार्च तक 1 लाख रुपये का ही निवेश कर सका है और रिटर्न में उसकी कर देनदारी बन रही है तो वह 30 जून तक अतिरिक्त 50 हजार का निवेश कर उस पर भी बीते वित्त वर्ष के लिए टैक्स छूट का लाभ ले सकता है।
नारंग ने कहा कि यह रियायत उन परिस्थितियों में दी गई है जब कोई करदाता अपने निवेश के लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सका हो। इसमें जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, पीएफ या राष्ट्रीय बचत योजना जैसे विकल्पों में निवेश की छूट मिलेगी।