जनहित गारंटी अधिनियम के दायरे में सेवाएं न लाने से मुख्यमंत्री योगी नाराज
विद्युत निदेशालय और वन विभाग को लिखा गया पत्र
मुख्यमंत्री योगी के बार-बार निर्देश देने के बावजूद कुछ विभाग कई विभागीय सेवाओं को जनहित गारंटी अधिनियम के दायरे में नहीं ला रहे हैं। मुख्यमंत्री ने ऐसी प्रवृत्ति पर कड़ी नाराजगी जताई है और एक पखवाड़े के भीतर सेवाओं को अधिनियम में अधिसूचित कराकर ई-डिस्ट्रिक्ट, निवेश मित्र पोर्टल व मुख्यमंत्री के दर्पण डैशबोर्ड से इंटीग्रेट कराने का आदेश दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों को अपने विभाग की आम लोगों से जुड़ी सेवाओं को जनहित गारंटी अधिनियम के दायरे में लाने और संबंधित सेवाओं के लिए तय समयसीमा में लोगों का काम सुनिश्चित कराने को कहा था। अधिसूचित सेवाएं पूरी तरह ऑनलाइन उपलब्ध करानी होती हैं और किसी भी स्तर पर देरी मुख्यमंत्री तक की नजर में होती है।
हाल में मुख्यमंत्री के निर्देशों पर अमल की समीक्षा की गई तो पता चला कि विद्युत सुरक्षा निदेशालय और पर्यावरण विभाग ने कई सेवाएं अभी तक अधिनियम में अधिसूचित कराकर ई-डिस्ट्रिक्ट व निवेश मित्र पोर्टल तथा मुख्यमंत्री के दर्पण डैशबोर्ड से इंटीग्रेट नहीं कराया है। अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल ने अपर मुख्य सचिव ऊर्जा अरविंद कुमार व प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण सुधीर गर्ग को इस संबंध में पत्र लिखा है और मुख्यमंत्री की अप्रसन्नता की जानकारी दी है।
उन्होंने दोनों ही विभागों के अफसरों को चिह्नित सेवाओं को 15 दिन के भीतर अधिसूचित कराकर ऑनलाइन कराने और ई-डिस्ट्रिक्ट व निवेश मित्र पोर्टल और दर्पण डैशबोर्ड से इंटीग्रेट कराने का निर्देश दिया है।
इन अफसरों से कहा गया है कि इंटीग्रेशन करते समय विभागीय वेबसाइट पर समुचित ड्रिलडाउन विकसित करवाया जाए ताकि मुख्यमंत्री किसी संदर्भ विशेष की स्थिति सीधे दर्पण दैशबोर्ड से प्राप्त कर सकें। ड्रिल डाउन से यह स्पष्ट होना चाहिए कि आवेदन किस अधिकारी द्वारा निस्तारित किया गया है अथवा किसके स्तर पर और कब से लंबित हैं?