हाईकोर्ट को सीधे जमानत अर्जी सुनने का अधिकार
विशेष परिस्थिति में अधीनस्थ न्यायालय में पहले अर्जी दाखिल करना जरूरी नहीं
सीधे हाईकोर्ट से मंजूर हुई जमानत याचिका, कहा- विशेष परिस्थितियों में विशेष राहत की जरूरत
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने मथुरा की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में मैनेजर सूरज कुमार की सीधे हाईकोर्ट में दाखिल जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
प्रयागराज. हाईकोर्ट ने कहा है कि विशेष परिस्थितियों में विशेष राहत देने की आवश्यकता होती है। कोविड-19 संक्रमण की वजह से यदि अधीनस्थ न्यायालय बंद है तो हाईकोर्ट को सीधे जमानत अर्जी पर सुनवाई करने का अधिकार है। इस सिद्धांत के मद्देनजर न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने मथुरा की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में मैनेजर सूरज कुमार की सीधे हाईकोर्ट में दाखिल जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
सूरज कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 439 में हाईकोर्ट को जमानत अर्जी पर सीधे सुनवाई का भी अधिकार है। विशेष परिस्थिति में जमानत अर्जी न्यायालय में पहले दाखिल होना आवश्यक नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा संदीप कुमार बाफना केस में दिए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 439 का दायरा हाईकोर्ट तक है। हाईकोर्ट को रिमांड लेने और जमानत पर सीधे सुनवाई का अधिकार है।
इसलिए मंजूर की याचिका
वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि मामला मथुरा का है और मथुरा इस समय रेड जोन में होने के कारण वहां न्यायिक कार्य नहीं हो रहा है। याची को अनुच्छेद 21 के तहत दैहिक स्वतंत्रता का मूल अधिकार है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक निर्णयों और परिस्थितियों को देखते हुए जमानत अर्जी पर सुनवाई करना मंजूर करते हुए याची की जमानत मंजूर कर ली है।
इस मामले में हुआ था गिरफ्तार
याची सूरज कुमार की कंपनी का ट्रक एक दवा कंपनी को कफ सीरप के लिए कुछ प्रतिबंधित रसायन ले जाते हुए पकड़ा गया था। याची का कहना था कि वह ट्रांसपोर्ट कंपनी का मैनेजर है। प्रतिबंधित रसायन की सप्लाई, सप्लायर खरीदने वाले के बीच का मामला है।