करदाताओं की वित्तीय कुंडली होगा फॉर्म 26-AS, 50,000 रुपये से अधिक के खरीद-फरोख्त की देनी होगी जानकारी
इस फॉर्म में करदाताओं की तरफ से 50000 से अधिक रुपये के सभी प्रकार की लेनदेन निवेश एवं खरीद-बिक्री की जानकारी होगी।...
नई दिल्ली। करदाताओं के लिए आयकर विभाग से अपनी खरीद-फरोख्त छिपाना अब आसान नहीं होगा। आयकर विभाग ने इस वर्ष फॉर्म 26-एएस का नया वर्जन लागू कर दिया है। इस फॉर्म में करदाताओं की तरफ से 50,000 से अधिक रुपये के सभी प्रकार की लेनदेन, निवेश एवं खरीद-बिक्री की जानकारी होगी। बैंक में जमा की गई राशि से लेकर शेयर बाजार में लगाई गई रकम का पूरा ब्योरा इस फॉर्म में होगा।
किसी भी प्रकार के वित्तीय विवाद की भी जानकारी इस फॉर्म में देनी होगी। हर तीन महीने पर फॉर्म 26-एएस प्राप्त जानकारी के आधार पर अपडेट होता रहेगा। इस फॉर्म में करदाताओं के मोबाइल नंबर, आधार नंबर और ईमेल आईडी भी होंगे।
टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक फिलहाल फॉर्म 26-एएस में करदाताओं के टीडीएस, टीसीएस व टैक्स के स्व मूल्यांकन की ही जानकारी होती है। सभी करदाताओं का फॉर्म 26-एएस होता है जिसके आधार पर ही टैक्स रिफंड या टैक्स देनदारी की जानकारी मिलती है।
टैक्स विशेषज्ञ एवं चार्टर्ट एकाउंटेंट का कहना है कि नए 26-एएस फॉर्म की अधिसूचना के तहत इनकम टैक्स के वरिष्ठ अधिकारी को करदाताओं के इस फॉर्म को खोलने का अधिकार दिया गया है। अगर करदाताओं पर वस्तु व सेवा कर संबंधी कोई बकाया है या किसी अन्य प्रकार का टैक्स विवाद चल रहा है तो इसकी जानकारी करदाताओं के फॉर्म 26-एएस में भर दी जाएगी। इस फॉर्म में करदाताओं के कारोबार के टर्नओवर जैसी जानकारी भी शामिल होगी।
अगर करदाताओं में कोई निर्यातक या आयातक है तो फॉर्म से यह पता चल जाएगा कि वह किस वस्तु का आयात या निर्यात करता है और उसका कारोबार कितने का है। चावला कहते हैं, इस प्रकार फॉर्म 26-एएस करदाताओं की वित्तीय कुंडली का काम करेगा। क्योंकि हर बड़ी खरीद-बिक्री व लेनदेन में पैन कार्ड लिंक होने से यह जानकारी इनकम टैक्स विभाग को मिल जाएगी। बैंक व वित्तीय संस्थान कर्ज देने के लिए आने वाले समय में फॉर्म 26-एएस का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस फॉर्म से ही बैंक या वित्तीय संस्थान को पता लग जाएगा कि करदाताओं का रिकॉर्ड कैसा है।
नोटबंदी के दौरान जमा कराई रकम की भी जानकारी होगी शामिल
टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक नए फॉर्म 26-एएस में नोटबंदी के दौरान बैंक में जमा की गई राशि की जानकारी भी दी जाएगी। अगर किसी करदाता ने नौ नवंबर, 2016 से लेकर 30 दिसंबर, 2016 के बीच करंट एकाउंट से इतर किसी भी एकाउंट में 2.5 लाख रुपये से अधिक नकदी जमा कराई है तो यह जानकारी नए फॉर्म में दी जाएगी। वैसे ही इस अवधि में करंट एकाउंट में 12.5 लाख से अधिक की नकदी जमा कराए जाने का विवरण देना होगा।