उच्चतम न्यायालय ने एक फैसले में कहा है कि एडहॉक (तदर्थ) के रूप में की गई सेवा स्थाई होने पर वरिष्ठता में नहीं जोड़ी जाएगी। जस्टिस यू यू ललित की पीठ ने यह ट्रैक कोर्ट में की गई सेवा को वरिष्ठता में जोड़ा जाए। राजस्थान उच्च न्यायालय ने जजों की दलील ठुकरा दी थी और कहा था कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में उनकी सेवा अस्थाई थी और एक स्टॉप गैप व्यवस्था के तहत की गई थी, ये स्थाई व्यवस्था नहीं थी। इस पद पर उन्हें एड हॉक रूप से फैसला देते हुए सेशन जज के पद पर एड प्रोन्नत किया गया था, अब उन्हें सेशन हॉक सेवा करने वाले जजों की याचिका खारिज कर दी। जजों ने याचिका में कहा था कि उनकी सेशन जज के रूप में फास्ट जज के रूप में कन्फर्म करने पर इस सेवा को उनकी वरिष्ठता में नहीं रखा जाएगा।
एडहॉक सेवा वरिष्ठता में नहीं जोड़ी जाएगी - उच्चतम न्यायालय का बड़ा फैसला
एडहॉक सेवा वरिष्ठता में नहीं जोड़ी जाएगी - उच्चतम न्यायालय का बड़ा फैसला