बालिग लड़की-लड़का अपनी मर्जी के मालिक - हाईकोर्ट
प्रयागराज | 29 May 2020
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि बालिग लड़का-लड़की अपनी मर्जी से जहां, जिसके साथ रहना चाहें, रह सकते हैं। कोर्ट, परिवार या रिश्तेदारों को उनके जीवन की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए परिवार द्वारा उन्हें परेशान करने से एवं स्वतंत्रता में हस्तक्षेप से रोकने का आदेश देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी लेकिन कहा कि याची परेशान करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई कर सकती है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने रेशमा देवी व अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है और अपने पति के साथ रह रही है। लेकिन उसके परिवार वाले उसे परेशान कर रहे हैं। दूसरे पक्ष की ओर से याचिका को यह कहते हुए खारिज करने की मांग की गई कि याची ने छह सितंबर 2019 को शादी की, उस समय वह नाबालिग थी। और नाबालिग को संरक्षण देने का अधिकार माता-पिता को है इसलिए याचिका पोषणीय नहीं है। कोर्ट ने कहा कि याची वर्तमान समय में 18 वर्ष से अधिक आयु की है व बालिग है। उसे अपनी मर्जी से जहां चाहे रहने का अधिकार है।