भत्तों की कटौती से नाराज कर्मचारी एक मई को जताएंगे विरोध।
डीए रोके जाने पर कर्मचारी संगठनों का विरोध लगातार जारी।
डीए कटौती पर राज्यकर्मचारी आज मोमबत्तियां जलाकर दर्ज कराएंगे विरोध।
राजस्व कर्मियों ने भत्ता कटौती को बताया प्रताड़ना।
यूपी : डीए और भत्ते रोकने के फैसले पर कर्मचारी संगठनों ने जताया एतराज।
... और मुखर हुआ डीए फ्रीज करने का विरोध, पुरानी पेंशन बहाल कर NPS का अरबों रुपये प्राप्त करने का सरकार को दिया सुझाव।
मंहगाई भत्ता न दिए जाने से कर्मचारियों में गुस्सा, पुनर्विचार की मांग।
डीए व भत्ते कटौती तो ठीक, पर बाद में मिलना चाहिए एरियर।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अलावा अन्य कर्मचारी संगठनों ने भी डीए में कटौती का विरोध किया है। राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजिनियर संगठन के केंद्रीय महासचिव जय प्रकाश ने कहा कि बिजलीकर्मी और उनके परिवार के जीवकोपार्जन का आधार महंगाई भत्ता है। ऐसे में महंगाई सहित अन्य भत्ते रोकना अलोकतांत्रिक कदम है। वहीं, राज्य विद्युत परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष दीपक चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार के फैसले से बिजलीकर्मियों के वेतन से 40 हजार से तीन लाख रुपये तक की स्थायी कटौती होगी। विद्युत कार्यालय सहायक संघ के केंद्रीय अध्यक्ष सुनील पाल और यूपी विद्युत पेंशनर्स परिषद के महासचिव कप्तान सिंह ने कहा कि सरकार को अपने फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए। वहीं, राजकीय वाहन चालक महासंघ ने भी सरकार के इस फैसले को मनमाना बताया है। संगठन के अध्यक्ष रामफेर पांडेय व महामंत्री मिठाई लाल ने कहा कि यह कठिन समय कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने का है न कि कटौती करने का।
• टीम एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ : भत्तों में कटौती के लिए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने वित्त विभाग को दोषी ठहराया है। संगठन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है और कहा है कि कर्मचारी इन कटौतियों से हताश हैं और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
संगठन के महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने बताया कि सीएम कार्यालय ने एक अप्रैल को कर्मचारियों को आश्वस्त किया था कि इस वैश्विक महामारी में प्रदेश के कर्मचारी पूरी मेहनत से राहत और बचाव कार्य कर रहे हैं। ऐसे में उनके वेतन आदि में कोई कटौती नहीं की जाएगी। अब वित्त विभाग ने कटौती का आदेश जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि वायरस की रोकथाम, उपचार, राहत सामग्री का वितरण करने में कर्मचारी अपनी जान की परवाह तक नहीं कर रहे हैं। उन्हें प्रोत्साहित करने और अतिरिक्त लाभ देने की जगह भत्तों आदि से कटौती की जा रही है। संगठन ने कहा है कि इसके पहले भी कर्मचारियों के भत्तों पर वित्त विभाग कटौती कर चुका है। परिषद के संगठन मंत्री संजीव गुप्ता और अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने कहा कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी वैसे ही अल्प वेतन भोगी हैं। ऐसे में उनके महंगाई और अन्य भत्तों की कटौती कष्टदायक है। सीएम को इसपर विचार करना चाहिए।
सीटू ने कहा- जनविरोधी चेहरा सामने आया : भत्तों में कटौती को प्रदेश कांग्रेस ने अव्यावहारिक और तुगलकी फरमान बताया है। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सरकार से मांग की है कि वह इस फैसले को वापस ले। सेन्ट्रल फॉर इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों का महंगाई भत्ता काटे जाने का विरोध किया है। प्रदेश सचिव प्रेमनाथ राय ने कहा कि इस फैसले से सरकार का जनविरोधी चेहरा सामने आ गया है।
कर्मचारी हताश, भत्तों में कटौती वापस ले सरकार।