नियमित पदों के सापेक्ष आउटसोर्सिंग से काम नहीं लिया जा सकता, सरकार के जवाब न देने पर हाईकोर्ट सख्त, दिया जवाब का अंतिम मौका।
हलफनामा न देने पर हाई कोर्ट ने दी अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी
कोर्ट ने 20 नवंबर को आदेश जारी कर राज्य सरकार के जिम्मेदार अफसर से जवाब तलब किया था, लेकिन शपथपत्र दाखिल करने के लिए सरकार की ओर से बार-बार समय लिया जा रहा था। इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव (राजस्व) व प्रमुख सचिव (वित्त) को तलब किया था। आदेश के अनुपालन में दोनों अफसर शुक्रवार को कोर्ट में पेश हुए।
• एनबीटी, लखनऊ : नियमित और संस्तुत पदों के सापेक्ष आउटसोर्सिंग से कर्मचारी लाकर काम नहीं लिया जा सकता है। यह साफ करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से शपथपत्र दाखिल करने को कहा है कि नियमित और संस्तुत पदों के सापेक्ष आउटसोर्सिंग पर कर्मचारी नहीं लगाए जा रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी, 2020 को होगी। कोर्ट ने कहा कि उसके आदेश के अनुपालन में शपथपत्र नहीं दाखिल किया
जाता है तो जिम्मेदार अफसर के खिलाफ अवमानना अधिनियम के तहत समुचित कार्रवाई की जाएगी।
यह आदेश जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस वीके श्रीवास्तव की बेंच ने मेसर्स आरएमएस टेक्नोसॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। याची ने 25 अक्टूबर, 2019 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके जरिए सर्विस प्रोवाइडर के रूप में किया गया उनका रजिस्ट्रेशन राज्य सरकार ने रद कर दिया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस बात का स्वतः संज्ञान ले लिया कि सरकार नियमित और संस्तुत पदों के सापेक्ष आउटसोर्सिंग से कर्मचारी लगाकर काम ले रही है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने उमा देवी के मामले में ऐसा करने से सरकारों को मना कर रखा है।
कोर्ट ने 20 नवंबर को आदेश जारी कर राज्य सरकार के जिम्मेदार अफसर से जवाब तलब किया था, लेकिन शपथपत्र दाखिल करने के लिए सरकार की ओर से बार-बार समय लिया जा रहा था। इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव (राजस्व) व प्रमुख सचिव (वित्त) को तलब किया था। आदेश के अनुपालन में दोनों अफसर शुक्रवार को कोर्ट में पेश हुए।
• एनबीटी, लखनऊ : नियमित और संस्तुत पदों के सापेक्ष आउटसोर्सिंग से कर्मचारी लाकर काम नहीं लिया जा सकता है। यह साफ करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से शपथपत्र दाखिल करने को कहा है कि नियमित और संस्तुत पदों के सापेक्ष आउटसोर्सिंग पर कर्मचारी नहीं लगाए जा रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी, 2020 को होगी। कोर्ट ने कहा कि उसके आदेश के अनुपालन में शपथपत्र नहीं दाखिल किया
जाता है तो जिम्मेदार अफसर के खिलाफ अवमानना अधिनियम के तहत समुचित कार्रवाई की जाएगी।
यह आदेश जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस वीके श्रीवास्तव की बेंच ने मेसर्स आरएमएस टेक्नोसॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। याची ने 25 अक्टूबर, 2019 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके जरिए सर्विस प्रोवाइडर के रूप में किया गया उनका रजिस्ट्रेशन राज्य सरकार ने रद कर दिया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस बात का स्वतः संज्ञान ले लिया कि सरकार नियमित और संस्तुत पदों के सापेक्ष आउटसोर्सिंग से कर्मचारी लगाकर काम ले रही है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने उमा देवी के मामले में ऐसा करने से सरकारों को मना कर रखा है।