शामली, मेरठ, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, बागपत, हापुड़, आगरा, फिरोजाबाद, हाथरस, काशीराम नगर, बदायूं, मुरादाबाद, रामपुर, ज्योतिबाफुले नगर, संभल, कानपुर देहात, फर्रूखाबाद, कन्नौज, जालौन, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, भदोही और अमेठी।
घटनाओं के साथ पहले नंबर पर रामपुर
मामले आए थे पिछले साल इन जिलों में
घटनाएं आई पराली जलाने की 26 जिलों में
हिदायत के साथ दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं कि पराली जलाने की घटनाएं न होने पाएं।
• एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ : पराली जलाने की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद सरकार ने जिले के अफसरों की भी नकेल कसनी शुरू कर दी है। मुख्य सचिव आरके तिवारी ने शनिवार को 26 जिलों के डीएम को नोटिस जारी कर पराली जलाने की घटनाओं पर जवाब-तलब किया है। उनसे पूछा गया है कि जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई की गई/ इससे पहले 16 नवंबर को भी 14 जिलों के डीएम को नोटिस जारी किए गए थे।
मुख्य सचिव आरके तिवारी ने जिलाधिकारियों को भेजे गए नोटिस में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए पुराने शासनादेश याद दिलाए हैं। साथ ही 25 नवंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का खास उल्लेख किया है। इसमें कोर्ट ने कहा था, 'अब समय आ गया है कि राज्य सरकारें यह बताएं कि वायु प्रदूषण से प्रभावितों को मुआवजा क्यों न दिया जाए/ अंतत: राज्य प्रशासन के जरिए चलता है, इसलिए अपने दायित्वों के निर्वहन में विफल रहने वाली मशीनरी की जिम्मेदारी क्यों न तय की जाए/'बताना होगा क्या ऐक्शन लिया/
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों से जिम्मेदारों पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है। पराली जलाने की घटनाओं को रोक पाने में विफल रहे संबंधित तहसील/थाना के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई का विवरण तलब किया है। साथ ही डीएम को अपना जवाब भी 5 दिसंबर तक इस