यूपी : प्रदेश में बनेंगे 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट, हर जिले में तैनात होंगी नोडल अफसर, महिला- बाल यौन अपराध के लिए योगी सरकार का बड़ा कदम।
December 10, 2019
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : हैदराबाद और उन्नाव में दुष्कर्म की जघन्य वारदातों को लेकर मचे हो-हल्ले के बीच योगी सरकार ने महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले लैंगिक अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधियों को तेजी से सजा दिलाने के लिए प्रदेश में 218 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट के गठन का फैसला किया है। इनमें से 144 फास्ट ट्रैक कोर्ट दुष्कर्म के मुकदमों और 74 अदालतें लैंगिक अपराधों से बालकों को संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो एक्ट) के तहत दर्ज मामलों की सुनवाई के लिए समर्पित होंगी। इन अदालतों में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्तर के न्यायिक अधिकारी बैठेंगे। सोमवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस महत्वपूर्ण निर्णय समेत कुल 33 फैसले हुए।
फास्ट ट्रैक के गठन के फैसले की जानकारी राज्य सरकार के प्रवक्ता व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक ने दी। न्याय मंत्री ने बताया कि पूरे प्रदेश में पॉक्सो एक्ट से संबंधित 42379 मामले तथा दुष्कर्म व अन्य लैंगिक अपराधों से जुड़े 25749 मुकदमे न्यायालयों में लंबित हैं।
प्रदेश में अभी कोई अदालत ऐसी नहीं है जो सिर्फ पॉक्सो एक्ट या दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई के लिए ही समर्पित हो। प्रदेश में पॉक्सो एक्ट से संबंधित 74 न्यायालय चल रहे हैं लेकिन उनमें इस एक्ट के अलावा अन्य मामले भी विचाराधीन हैं। महिलाओं से संबंधित अपराधों के लिए सूबे में 81 फास्ट ट्रैक कोर्ट में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कार्यरत हैं इन अदालतों में भी दुष्कर्म के अलावा अन्य मामले विचाराधीन हैं।
विशेष अदालतों में नहीं ट्रांसफर होंगे अन्य मामले : न्याय मंत्री ने बताया कि प्रदेश में गठित किए जाने वाले 218 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट में महिलाओं और बच्चों से जुड़े कोई और अपराधिक मुकदमे ट्रांसफर नहीं किए जाएंगे।
पीठासीन अधिकारी के पद सृजित : उन्होंने बताया कि कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी आज ही हाई कोर्ट को दे दी जाएगी। साथ ही बताया कि इन फास्ट ट्रैक कोर्ट के संचालन के लिए राज्य सरकार ने पीठासीन अधिकारी के रूप में 218 अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद सृजित कर दिए हैं।
हर अदालत पर 75 लाख खर्च : प्रत्येक फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना व संचालन पर सालाना 75 लाख रुपये खर्च अनुमानित है। पीठासीन अधिकारी व सातों स्टाफ के एक वर्ष के वेतन/पारिश्रमिक पर 63 लाख और कोर्ट परिसर के किराये पर 3.9 लाख रुपये खर्च होंगे। वहीं अदालत के संचालन पर होने वाले खर्च के लिए फ्लेक्सी ग्रांट के तौर पर 8.1 लाख रुपये दिए जाएंगे। इस हिसाब से प्रदेश में 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना व संचालन पर सालाना 163.5 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश : सुप्रीम कोर्ट ने एक रिट याचिका की सुनवाई करते हुए 25 जुलाई 2019 को आदेश दिया था कि जिन जिलों में पॉक्सो एक्ट के 100 से अधिक मामले हों, उनमें ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए समर्पित स्पेशल कोर्ट स्थापित किए जाएं। सूबे के 74 जिलों में पॉक्सो एक्ट से जुड़े 100 से अधिक मामले दर्ज हैं जिसमें से 70 जिलों में ऐसे मामलों की संख्या 200 से भी ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर 2019 को केंद्र व राज्य सरकारों को पॉक्सो एक्ट के मामलों की प्राथमिकता से सुनवाई करने के लिए समर्पित न्यायालयों के गठन का आदेश दिया था ताकि ऐसे मामलों में निर्धारित समयावधि के अंदर चार्जशीट फाइल की जा सके।
● 144 कोर्ट दुष्कर्म व 74 अदालतें पॉक्सो के मामलों को समर्पित होंगी
● अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्तर के न्यायिक अधिकारी करेंगे सुनवाई