पोर्टल बनाकर की जाएगी प्रॉजेक्ट्स की निगरानी
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नीति आयोग के निर्देश पर तैयार किया जा रहा पोर्टल इस पोर्टल को आम जनता के लिए खोले जाने के बाद आम आदमी यह जान सकेगा कि उसके क्षेत्र या गांव में सरकार के कौन-कौन से विभाग क्या काम कर रहे हैं। आगे इन विभागों की क्या योजना है। ये सभी जानकारियां आम आदमी को पोर्टल के जरिए मिल सकेगी। यह पोर्टल नीति आयोग के निर्देश पर तैयार किया जा रहा है। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र के ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के बीच दो साल के लिए अनुबंध हुआ है। ...तो नहीं बढ़ेगी ओवर रन कॉस्ट प्रॉजेक्ट की रियल टाइम मॉनिटरिंग के पीछे सरकार की मंशा है कि परियोजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार को रोका जा सके। साथ ही प्रॉजेक्ट में देरी से बढ़ने वाली ओवर रन कॉस्ट न बढ़ने दी जाए। मौजूदा समय में प्रदेश में कई ऐसी परियोजनाएं हैं, जो पिछले एक दशक से भी ज्यादा लंबे समय से चली आ रही है। समय पर प्रॉजेक्ट पूरा न होने की स्थिति में राज्य सरकार को हर बार इन प्रॉजेक्ट्स की लागत रिवाइज करनी पड़ती है। जिसका बोझ राज्य सरकार पर पड़ता है और प्रॉजेक्ट समय पर न पूरा होने से सरकार की छवि भी खराब होती है। उदाहरण के तौर पर सिंचाई विभाग की कई ऐसी परियोजनाएं हैं, जो कई दशकों से चल रही हैं, जिसकी वजह से प्रॉजेक्ट की लागत शुरू से लेकर अब तक कई गुना बढ़ गई है।• पहले स्तर पर मुख्यमंत्री किसी भी विभाग के पोर्टल को खोल सकेंगे और उस विभाग के कार्यों की पूरी जानकारी अपने दफ्तर में बैठकर ले सकेंगे। • दूसरे स्तर पर विभाग के कर्मचारियों का एक्सेस होगा। जिस विभाग के कर्मचारी होंगे, वह अपने विभाग के सभी प्रॉजेक्ट्स को देख सकेंगे और उनकी मॉनिटरिंग भी कर सकेंगे। • तीसरे स्तर पर पब्लिक का एक्सेस होगा। इसमें जनता भी अपने क्षेत्र में चल रही योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल कर सकेगी। तीन स्तर पर होगी मॉनिटरिंग लखनऊ: प्रदेश में चल रहे प्रॉजेक्ट्स में भ्रष्टाचार न हो और प्रॉजेक्ट समय पर पूरे हों, इसके लिए राज्य सरकार एक पोर्टल बना रही है। इस पोर्टल के जरिए प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे प्रॉजेक्ट्स की रियल टाइम मॉनिटरिंग हो सकेगी। पोर्टल पर 86 विभागों का डाटा एक साथ उपलब्ध होगा। सभी विभाग प्रदेश भर में चल रही अपनी योजना का ब्यौरा इस पोर्टल को बनाने वाले रिमोट सेंसिंग विभाग को दे रहे हैं। ताकि इन योजनाओं को पोर्टल पर अपलोड किया जा सके। सभी योजनाओं की मॉनिटरिंग जियोग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम (जीआईएस) टेक्नोलॉजी से होगी। |
Wednesday, October 9, 2019
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