इंतजार की हद: रोजगार सेवक दो वर्षों से और अनुदेशक 10 माह से वेतन का इंतजार कर रहे
सरकारी विभागों में वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हजारों कर्मचारियों के घर इस दीवाली भी खुशियों ने दस्तक नहीं दी। विभिन्न योजनाओं और विभागों में संविदा, आउटसोर्सिंग व सरकारी द्वारा सीधे रखे गए कर्मचारियों की मांगों को भी नहीं सुना गया। इनमें से कई क्षेत्रों के कर्मचारियों को छह माह से लेकर दो वर्ष से मानदेय तक नहीं मिला है । धरना- प्रदर्शन के बावजूद सरकार ने मांगों को अनसुना किए हुए है।
प्रदेश के करीब 37 हजार ग्राम रोजगार सेवकों को बीते दो वर्षों से मानदेय नहीं मिल रहा है। बिना मानदेय के ग्राम रोजगार सेवकों ने दीपावली न मनाने का निर्णय भी लिया है। उत्तर प्रदेश ग्राम रोजगार सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश कुमार सिंह बताते है कि हमारे परिवार भुखमरी की कगार पर खड़े हैं। बच्चों की फीस से लेकर दवाओं तक के लिए उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है। हमारे मानदेय के लिए सरकार के पास दो वर्ष से पैसा नहीं है।
आईटीआई में आउटसोर्सिंग के जरिए अनुदेशक के पद पर काम कर रहे करीब 225 से 250 कर्मचारियों को बीते करीब दस माह से मानदेय नहीं मिला है। अनुदेशकों की आवाज उठाने वाले सुरेन्द्र सैनी बताते हैं कि संस्थान हमारी सेवाओं को समाप्त करने की कार्रवाई कर रहा है। आउटसोर्सिंग के जरिए संविदा कर्मचारियों की तरह यूपीएसआईसी द्वारा चयनित किया गया था। सुरेन्द्र ने सरकार से सेवाओं को समाप्त न किए जाने की मांग की है।