■ तबादलों को 'धंधा' बनाए जाने के खेल पर सीएम कार्यालय की सीधी नजर,
■ तबादलों के 'खेल' पर सीएम कार्यालय की सीधी नजर
तबादले निरस्त करने के साथ टेंडर, निर्माण की भी जांच शुरू
सीएम के आदेश पर गुरुवार को स्टांप और पंजीयन विभाग के 300 से अधिक तबादले निरस्त कर दिए गए थे। समूह ख और ग के जो तबादले आईजी स्टांप के स्तर से किए जाते हैं, वे भी शासन स्तर और विभागीय मंत्री नंद गोपाल नंदी की सहमति से किए गए थे। इसके बाद भी बड़े पैमाने पर अनियमितता और नियम विरुद्ध तबादलों की शिकायत थी। इसे संज्ञान में लेते हुए सीएम ने तबादले निरस्त किए।
निशाने पर कई विभाग
सीएम ने सिद्धार्थ नाथ सिंह की अगुआई वाले स्वास्थ्य विभाग में भी तबादलों पर हंटर चलाया था। यहां पहले पैरामेडिकल स्टाफ के बड़े पैमाने पर किए गए तबादले निरस्त किए गए थे। बाद में सीएमओ और सीएमएस स्तर के अधिकारियों का तबादला उसी दिन रोक दिया गया था।
सीएम ने सिद्धार्थ नाथ सिंह की अगुआई वाले स्वास्थ्य विभाग में भी तबादलों पर हंटर चलाया था। यहां पहले पैरामेडिकल स्टाफ के बड़े पैमाने पर किए गए तबादले निरस्त किए गए थे। बाद में सीएमओ और सीएमएस स्तर के अधिकारियों का तबादला उसी दिन रोक दिया गया था।
धर्मपाल सिंह के सिंचाई विभाग में एई और दूसरे इंजीनियरों के भारी-भरकम तबादलों को भी भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद सीएम कार्यालय ने रोक दिया था। बेसिक शिक्षा विभाग में बीएसए के तबादलों को भी सीएम कार्यालय के निर्देश पर डंप कर दिया गया था। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पीडब्लूडी विभाग में दो साल में दिए गए 6 हजार करोड़ से अधिक के ई-टेंडर की सीएम के निर्देश पर जांच शुरू कर दी गई है।
शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि तबादलों और टेंडर में खेल से सरकार की छवि पर सवाल उठते हैं। यही वजह है कि बड़े प्रॉजेक्ट की सीधी मॉनिटरिंग सीएम कार्यालय से की जा रही है।
कई विभागों के कामकाज से सीएम खफा
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और शुचिता पर जोर दिया है लेकिन, कई विभाग उनकी कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे हैं। कुछ विभागों के रवैये से योगी खफा हैं। तबादलों से लेकर कामकाज की वह अब नए सिरे से समीक्षा कर रहे हैं। हाल में कई विभागों में हुए तबादलों को निरस्त कर उन्होंने साफ कर दिया कि अब मंत्रियों की मनमानी नहीं चलेगी।
मुख्यमंत्री की निगाह मंत्रियों के कामकाज पर टिकी है। स्टांप एवं निबंधन विभाग में उप निबंधक से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के करीब 350 तबादले गुरुवार को निरस्त कर दिये गये। इन तबादलों को लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत पहुंची थी। इनमें 30 जून से लेकर एक अगस्त के बीच करीब 60 उप निबंधकों के भी तबादले किये गये थे। इन तबादलों के चलते विभागीय मंत्री की भी शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंची। मुख्यमंत्री ने इन तबादलों को निरस्त कर स्पष्ट कर दिया कि चाहे कोई भी हो लेकिन, अनियमित तरीके से कामकाज करेगा तो उस पर अंकुश लगाया जाएगा। स्टांप एवं निबंधन विभाग कोई अकेला विभाग नहीं है जहां हुए तबादलों को मुख्यमंत्री के निर्देश पर निरस्त किया गया। कई जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों के भी तबादले निरस्त किये गये। ये तबादले उस समय कर दिये गये थे जब स्कूल चलो अभियान चल रहा था।
जाहिर है कि यह व्यवस्थागत खामी थी जिसका असर अभियान पर पड़ना स्वाभाविक था। हद तो तब हो गयी जब स्वास्थ्य विभाग में सीएमओ और सीएमएस के तबादले किये गये और शाम को मुख्यमंत्री कार्यालय ने आदेश जारी कर इन पर रोक लगा दी। ये तबादले उस समय किया गया था जब संचारी रोग नियंत्रण अभियान चल रहा था। मुख्यमंत्री ने इस पर भी नाराजगी जतायी थी।
मंत्रियों से साठ-गांठ करने वाले अफसरों पर भी नजर :मुख्यमंत्री तक कुछ अफसरों की भी शिकायत पहुंची है। ये अफसर मंत्रियों से साठ-गांठ कर नियमों की अनदेखी कर फाइलों का निस्तारण कर रहे हैं। ऐसे अफसरों पर अभिसूचना तंत्र के साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय की भी नजर है। कई विभागों के कामकाज की ऑडिट कराने से लेकर वह अपने स्तर पर छानबीन भी करा रहे हैं।
जिलों में भी हो रही निगरानी : मुख्यमंत्री की मंशा है कि थाना, ब्लाक, तहसील और जिलों में काम काज पारदर्शी तरीके से हो। इसके लिए उन्होंने मंडलायुक्तों को विशेष रूप से जवाबदेह बनाया है। अभी हाल में बुलंदशहर के एसएसपी एन कोलांची शिकायत पर निलंबित किये गये थे। गुरुवार को मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलों में डीएम और एसएसपी की दफ्तर में मौजूदगी और कामकाज की समीक्षा की गयी। करीब एक दर्जन डीएम और आधा दर्जन एसएसपी कसौटी पर खरा नहीं पाये गये। उन सभी से स्पष्टीकरण मांगा गया है।