पति की गलती से शादी टूटी तो देना होगा गुजारा भत्ता
नई दिल्ली | उच्चतम न्यायालय ने एक फैसले में व्यवस्था दी है कि यदि पति की शारीरिक खामी या गलती की वजह से विवाह विच्छेद होता है तो उसे पत्नी के गुजारे के लिए भत्ता देना होगा। यह भत्ता तब तक देना होगा, जब तब पत्नी दोबारा विवाह न कर ले। जस्टिस आर भानुमति और एएस बोपन्ना की पीठ ने शुक्रवार को केरल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर पति की याचिका खारिज करते हुए यह निर्णय सुनाया। पीठ ने कहा कि पति को सीआरपीसी की धारा-125 के तहत पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा, क्योंकि उसने दोबारा शादी नहीं की है।
पति का कहना था कि शादी उसने समाप्त नहीं की है। इस मामले में पत्नी ने ही विवाह विच्छेद के लिए याचिका दायर की थी। वहीं, यह शादी अब समाप्त हो गई है और वह उसकी पत्नी नहीं है। ऐसे में गुजार भत्ता देने का आदेश देना गलत है। हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में पति ने यह तथ्य छिपाया कि वह नपुंसक है। इसमें पत्नी की कोई गलती नही है। अदालत ने स्पष्ट किया कि मामले में विवाह समाप्त होने का तथ्य महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि विवाह किन परिस्थितियों में समाप्त हुआ।