50 करोड़ कामगारों को न्यूनतम वेतन मिलने का रास्ता साफ, मजदूरी संहिता विधेयक पारित।
नई दिल्ली। शुक्रवार को राज्यसभा ने मजदूरी संहिता विधेयक को पारित कर दिया। इसमें देश के 50 करोड़ कामगारों को न्यूनतम मजदूरी के साथ महिलाओं को पुरुषों के समान मजदूरी देने की व्यवस्था की गई है। बिल के पक्ष में 85 और विरोध में केवल आठ वोट पड़े। लोकसभा इसे पहले ही पास कर चुकी है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।
इसमें न्यूनतम मजदूरी और बोनस से संबंधित पुराने श्रम कानूनों का विलय कर उन्हें समय के अनुसार प्रासंगिक और पारदर्शी बनाया गया है। 40 पुराने श्रम कानूनों को मिलाकर चार श्रम संहिताओं में बदलने की कड़ी में यह पहली संहिता है। अभी तीन संहिताओं के बिल और लाए जाने हैं।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने कहा यह एतिहासिक विधेयक है, जिसमें 50 करोड़ कामगारों को न्यूनतम और समय पर मजदूरी देने को वैधानिक संरक्षण प्रदान किया गया है। इसमें मजदूरी संहिता विधेयक, 2019 के जरिये वेतन भुगतान विधेयक 1936, न्यूनतम वेतन एक्ट 1948, बोनस एक्ट 1965 तथा समान परिलब्धियां अधिनियम, 1976 का विलय किया गया है। बिल में स्थायी समिति के 24 में से 17 सुझावों को शामिल किया गया है। बता दें कि मजदूरी संहिता बिल को सबसे पहले अगस्त, 2017 में लोकसभा में पेश किया गया था जहां से उसे समीक्षा के लिए स्थायी संसदीय समिति को भेज दिया गया था। समिति ने दिसंबर 2018 में रिपोर्ट दी थी।