17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का सशर्त जाति प्रमाणपत्र जारी करने का सरकार का आदेश अब उसके ही गले की बनता जा रहा फांस
जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला केंद्र सरकार लेती है। कोर्ट के आदेश पर हमने शासनादेश जारी किया था। केंद्र सरकार को भी एक प्रतिवेदन भेजा था, लेकिन उसका जवाब नहीं आया है। लोगों की शिकायतों और आपत्तियों का विधिक परीक्षण करवाने के बाद फैसला लिया जाएगा। -रमापति शास्त्री, मंत्री, समाज कल्याण विभाग
पुराने आदेशों ने भी बढ़ाईं मुसीबतें
समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, 1994 में जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, तब एक ऐक्ट बना था। उसमें यह व्यवस्था दी गई थी कि पिछड़ी जातियों को एससी में शामिल करने का अधिकार राज्य सरकार को भी है। हालांकि, यह ऐक्ट उन आदेशों का उल्लंघन है, जिसमें यह व्यवस्था है कि किन जातियों को एससी में शामिल किया जाएगा। यह केवल केंद्र सरकार ही तय करेगी। ऐसे में अब अधिकारी इस मुसीबत में हैं कि केंद्र सरकार को मानें या राज्य के पुराने ऐक्ट को/ इसके अलावा कोर्ट के एससी सर्टिफिकेट जारी करने के आदेश पर भी रिव्यू पिटीशन फाइल करने का सरकार फैसला नहीं ले पा रही है।
■ आदेश के फेर में फंस गया एससी सर्टिफिकेट
लखनऊ : 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का सशर्त जाति प्रमाणपत्र जारी करने का सरकार का आदेश अब उसके ही गले की फांस बनता जा रहा है। जिलों से संबंधित जातियों को एससी सर्टिफिकेट जारी न होने की शिकायतें विभाग को लगातार मिल रही हैं। वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो इन आदेशों को नियम विरुद्ध बताकर सरकार को घेर रहे हैं। कुल मिलाकर इस आदेश पर शिकायतों और आपत्तियों से समाज कल्याण विभाग हलकान है।
कोर्ट के आदेश पर समाज कल्याण विभाग ने जून में 17 अति पिछड़ी जातियों के लोगों को कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत एससी प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश जारी किया था। इस आदेश के बाद भी अब तक जिलों से जाति प्रमाणपत्र नहीं जारी किए गए। इसकी शिकायतें सरकार को लगातार मिल रही हैं। विभाग को मिल रहे पत्र में लोग कह रहे हैं कि राज्य सरकार के पास पिछड़ी जातियों से अनुसूचित जाति में शामिल करने का अधिकार नहीं है। ऐसे में यह आदेश उनके हक पर डाका है। ऐसे हालात में सरकार कोई और आदेश जारी करने की स्थिति में भी नहीं दिख रही है। वहीं, इस आदेश पर जहां राजनीतिक दलों ने खामोशी अख्तियार कर ली थी, वहीं सोशल सेक्टर के लोग लगातार इस आदेश की आलोचना कर रहे हैं।
■ इन जातियों को नहीं मिल रहा सर्टिफिकेट
कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी और मछुआ।
पिछड़ा वर्ग विभाग से भी नहीं जारी हुआ आदेश : इस आदेश के बाद नियमत: पिछड़ा वर्ग विभाग को इन 17 जातियों के ओबीसी सर्टिफिकेट न जारी करने के आदेश देने चाहिए थे। समाज कल्याण विभाग के आदेश के तकरीबन दो माह बाद भी अब तक पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग से कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। ऐसे में जिलों में बैठे अधिकारियों की परेशानी यह है कि पहले से ही इन जातियों के पास पिछड़ा जाति का प्रमाणपत्र है। ऐसे में उन्हें अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र कैसे दिया जाए।
पिछड़ा वर्ग विभाग के अधिकारियों से जब इस बाबत बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि अब तक उन्हें आधिकारिक तौर पर ऐसा कोई आदेश उच्च स्तर से नहीं मिला है, जिसके तहत इन जातियों के पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने का जाति प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक लगा दी जाए।