सीधे नियुक्त कर्मचारी को नहीं कर सकते पदावनत, हाईकोर्ट ने प्रवक्ता को सहायक अध्यापक बनाने का आदेश किया रद
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी पद पर सीधे नियुक्त कर्मी की पदावनति नहीं की जा सकती। कोर्ट ने पदावनति देने के उप महाप्रबंधक पारीक्षा थर्मल प्रॉजेक्ट, झांसी के आदेश को रद करने के एकल पीठ के फैसले को सही माना है। कोर्ट ने इसके साथ ही फैसले के खिलाफ दाखिल अपील खारिज कर दी है। यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल तथा जस्टिस राजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने झांसी के लेक्चरर मोहम्मद इसरार खान की अपील पर दिया है। अपीलार्थी भी लेक्चरर है, उसने याची की सीधी नियुक्ति पर आपत्ति की थी। उसका कहना था कि इस पद को सीधी नियुक्ति से नहीं भरा जा सकता।
याची आशीष कुमार हजेला के पिता की सेवाकाल में मौत हो गई थी। इस पर आश्रित कोटे में लेक्चरर पद पर उसकी नियुक्ति की गई। महाप्रबंधक की संस्तुति पर चीफ इंजीनियर विद्युत बोर्ड, लखनऊ ने नियुक्ति की। विभाग ने लेक्चरर पद की सीधी भर्ती पर सवालों की समीक्षा की और कहा कि याची को लेक्चरर नियुक्त नहीं किया जा सकता। उसे सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड पर पदावनति दे दी गई, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।
कोर्ट ने कहा कि, परिनियम में संशोधन पिछली तिथि से प्रभावी नहीं किया जा सकता। याची की लेक्चरर पद पर सीधी नियुक्ति की गई है। उसकी नियुक्ति सहायक अध्यापक पद पर कभी नहीं की गई थी। ऐसे में उसे पदावनति नहीं दी जा सकती। यहां तक कि दंड स्वरूप भी पदावनति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के न्यादर सिंह केस के हवाले से कहा कि मेडिकल ऑफिसर को कंपाउंडर या वॉर्ड बॉय पद पर नहीं भेजा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि जिस पद पर नियुक्ति की गई है, उससे नीचे के पद पर पदावनति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि उप महाप्रबंधक का 11 जुलाई 2001 का याची को पदावनति देने का आदेश अवैध है। एकल पीठ ने इसे निरस्त कर सही किया है।