दो वर्षो में पूरी तरह कंप्यूटरीकृत हो जाएगी आयकर मूल्यांकन प्रक्रिया, करदाताओं को टैक्स अधिकारियों का व्यक्तिगत तौर पर सामना नहीं करना पड़ेगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र : इनकम टैक्स असेसमेंट की प्रक्रिया अगले दो साल में पूरी तरह से फेसलेस यानी कंप्यूटरीकृत हो जाएगी। इस प्रणाली में करदाताओं को टैक्स अधिकारियों का व्यक्तिगत तौर पर सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही असेसी को टैक्स विभाग की ओर से ही पहले से भरा हुआ रिटर्न फॉर्म भेजा जाने लगेगा। इन उपायों से सरकार टैक्स फाइलिंग की प्रक्रिया को सरल बनाना चाहती है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने एक साक्षात्कार में कहा कि ‘नेमलेस और फेसलेस’ सर्विस डिलीवरी के तहत पिछले साल करीब 2.06 लाख इनकम टैक्स असेसमेंट मामलों को ऑनलाइन ही निपटाया गया। इनकम टैक्स विभाग में अत्याधुनिक सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर 2.0 बनाने के लिए सरकार द्वारा हाल में दी गई मंजूरी इन्हीं प्रस्तावों की दिशा में उठाया गया कदम है।
सीपीसी 2.0 के जरिये करदाताओं को पहले से भरा हुआ रिटर्न फॉर्म भेजा जाएगा। रिटर्न फॉर्म में टैक्स डिक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) प्रक्रिया से करदाताओं के बारे में मिली सूचनाओं के आधार पर आंकड़े पहले से भरे हुए होंगे।
चंद्रा ने कहा कि इससे 24 घंटे में रिटर्न को प्रोसेस करने की सुविधा मिल जाएगी और (सीपीसी 2.0 का संचालन करने वाले टेक्नोलॉजी वेंडरों के साथ) हमारा यह समझौता हुआ है कि अगर इनकम टैक्स फॉर्म को एक दिन में प्रोसेस किया जाए, तो अधिक राशि प्रदान की जा सकती है। उम्मीद है कि दो साल में यह प्रणाली शुरू हो जाएगी। रिटर्न की तेज प्रोसेसिंग से टैक्स कंप्लायंस बेहतर होगा।
बंगलुरु में स्थित वर्तमान सीपीसी सभी श्रेणी के करदाताओं द्वारा दाखिल इनकम टैक्स रिटर्न से निपटने और उसके बाद प्रोसेसिंग सर्टिफिकेट तथा रिफंड जारी करने के लिए टैक्स विभाग की नोडल एजेंसी है। अंतरिम बजट में इनकम टैक्स विभाग के फेसलेस रिटर्न मूल्यांकन की तरफ बढ़ने संबंधी वित्त मंत्री की घोषणा के बारे में पूछे जाने पर सीबीडीटी के चेयरमैन ने कहा कि विभाग पहले से इस दिशा में काम शुरू कर चुका है।
अभी भी इनकम टैक्स रिटर्न के बहुत कम मामलों, सिर्फ करीब 0.46 फीसद, की ही जांच की जाती है। 99.54 फीसद रिटर्न को जैसा भेजा गया है, वैसा ही स्वीकार कर लिया जाता है। चंद्रा ने कहा कि पिछले साल करीब 2.06 लाख असेसमेंट फेसलेस तरीके से किया गया। इसे आगे और भी बढ़ाया जाएगा। सीबीडीटी इनकम टैक्स विभाग की नीति तैयार करता है।