मुकदमे के आधार पर शस्त्र लाइसेंस नहीं कर सकते रद, हाईकोर्ट ने किया डीएम का आदेश रद कर नए सिरे से निर्णय लेने का निर्देश
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल आपराधिक केस दर्ज होने के आधार पर शस्त्र लाइसेंस को निरस्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने याची की रिवाल्वर का लाइसेंस निरस्त करने के जिलाधिकारी बलिया के आदेश को रद कर दिया है और उन्हें नए सिरे से तीन माह के भीतर नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका मंजूर होने का यह आशय नहीं है कि याची का लाइसेंस स्वत: बहाल हो गया।
कहा कि याची चाहे तो नियमानुसार लाइसेंस का आवेदन दे सकता है और यदि वह शस्त्र नियमावली 2016 के तहत पात्र पाया जाता है तो एक माह में आवेदन पर आदेश पारित किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने राम भवन यादव की याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता परवेज इकबाल का कहना था कि याची के खिलाफ जानलेवा हमला करने सहित अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज हुई। जिसके आधार पर चार जुलाई 2009 को शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर दिया गया।
याची ने लंका थाना, वाराणसी में शस्त्र जमा कर दिया है। याची का कहना है कि उसने शस्त्र लाइसेंस का दुरुपयोग नहीं किया है। याची के अधिवक्ता का कहना है कि कोर्ट के कई फैसले हैं जिनके तहत आपराधिक केस दर्ज होने के आधार पर शस्त्र लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा सकता।