‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ के फरमान ने आंदोलित कर्मचारी-शिक्षकों को भड़काया, हड़ताल पर जाने को अडिग, दमनात्मक रुख पर जताई नाराजगी, कर्मचारी नेताओं ने कहा, पहले कभी नहीं रहा सरकार का ऐसा रुख
लखनऊ : हड़ताल को लेकर राज्य सरकार के ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ के फरमान ने आंदोलित कर्मचारी-शिक्षकों को भड़का दिया है। शनिवार को सभी संगठनों की बैठक बुलाकर कर्मचारी नेताओं ने कहा कि हड़ताल और आंदोलन तो कई बार हुए लेकिन, सरकार का ऐसा दमनात्मक रुख पहले कभी सामने नहीं आया।
लोक निर्माण भवन के डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ भवन में आयोजित कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच की बैठक में 25 से 27 अक्टूबर तक हड़ताल के फैसले पर डटे रहने का निर्णय लिया गया। मंच के संयोजक हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि मुख्य सचिव के स्तर से मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को भेजे गए दमनात्मक निर्देश ने हड़ताल को और हवा दे दी है।
बैठक में मंच के पदाधिकारी बाबा हरदेव सिंह, दिनेश चंद शर्मा और शिवबरन सिंह यादव सहित अन्य वक्ताओं में भी राज्य सरकार के रवैये को लेकर खासा आक्रोश नजर आया। उन्होंने हड़ताल के लिए शासन द्वारा जिलों को भेजे गए निर्देश की निंदा की।