यूपी में भ्रष्ट अफसरों की खैर नहीं, अब हर विभाग में तैनात होंगे विजिलेंस अफसर
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव अनूप चंद पाण्डेय ने बताया कि सरकार भ्रष्टाचार को शून्य करेगी. हर विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए विजिलेंस अधिकारी तैनात हो रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में भ्रष्ट अफसरों की खैर नहीं है. पहले सरकार ने जांच एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी और 150 से अधिक अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने आदेश जारी कर दिए. अब मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव ने एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत अब यूपी के सभी विभागों में विजिलेंस अफसर तैनात होंगे. इनका काम भ्रष्ट अफसरों पर नजर रखना होगा. ये अफसर सरकार को रिपोर्ट करेंगे.उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव अनूप चंद पाण्डेय ने बताया कि सरकार भ्रष्टाचार को शून्य करेगी. हर विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए विजिलेंस अधिकारी तैनात हो रहे हैं. सरकार की नीति है कि भ्रष्टाचार समाप्त हो, उसी दिशा में ये कार्य किया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि प्रदेश में लोगों को स्वस्थ बनाने के लिए भी आयुष्मान भारत योजना को तेजी से लागू किया जा रहा है.बता दें इससे पहले योगी सरकार ने डेढ़ सौ से अधिक भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं. गृह व गोपन विभाग ने आर्थिक अपराध शाखा को आदेश जारी कर दिया है कि भ्रष्टाचार में शामिल डेढ़ सौ अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए. जिसकी संस्तुति भी कर दी गई है. ऐसे में साफ है कि अब राशन घोटाले से लेकर खाद्यान्न घोटाले और क्षतिपूर्ति घोटाले से लेकर अन्य घोटालों में जनता के पैसे को हजम करने वाले अफसरों को जेल जाना होगा.सरकार ने इसके लिए आर्थिक अपराध शाखा को अलग से थाना बनाकर उसमें एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है, जिससे पूरे मामले की जांच में गोपनीयता बनी रहे. यूपी की बीजेपी सरकार ने सत्ता में आने के बाद सबसे पहले जीरो टॉलरेंस की बात की थी और कई अफसरों को अनियमितता के आरोप में जबरन रिटायर कर दिया था. लेकिन सीएम योगी ने एक माह पहले समीक्षा बैठक की तो इस बात का अंदाजा लगा कि 450 से अधिक भ्रष्टाचार की फाइलें लंबित है और भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है.सीबीसीआईडी, ईओडब्ल्यू, एंटी करप्शन समेत कई जांच एजेंसियों ने यूपी के भ्रष्ट अफसरों और माननीयों के भ्रष्टाचार की काली फाइलों को छुपा कर रखा है. जिसके बाद सीएम योगी ने 2 माह के अंदर इन सभी फाइलों का निस्तारण कर कार्यवाई करने की बात कही और रिपोर्ट भी तलब किया. साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में और प्रमुख सचिव गृह की निगरानी में एक समिति बनाई गई और पड़ताल शुरू की गई.इसके बाद आर्थिक अपराध शाखा में लंबित 144 मामलों की एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं, जिसमें डेढ़ सौ से अधिक अफसर और कर्मचारी शामिल हैं. अब अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है. क्योंकि अभी भी 300 से अधिक अफसरों और माननीयों पर कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है.