पहले ही तलाक हो चुका है तो फिर ऐसे में दहेज प्रताड़ना का केस नहीं बनता।
यह मामला यूपी के जालौन का है। पति और उसके परिवारीजनों ने धारा-498 ए और दहेज प्रताड़ना निरोधक कानून की धारा 3 और 4 में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद करने की मांग की थी। निचली अदालत और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पति व उसके परिवारीजनों की याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया।• पीटीआई, नई दिल्ली
झारखंड में वॉट्सऐप के जरिए मुकदमा चलाने का एक अनोखा मामला सामने आया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि देश की किसी भी अदालत में इस तरह के ‘मजाक’ की अनुमति कैसे दी गई।
झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी 2016 के दंगा मामले में आरोपित हैं। उन्हें शीर्ष अदालत ने पिछले साल जमानत दी थी। उसने यह शर्त लगाई थी कि वे भोपाल में रहेंगे और अदालती कार्यवाही में हिस्सा लेने के अलावा झारखंड में प्रवेश नहीं करेंगे। आरोपितों ने शीर्ष अदालत को बताया कि आपत्ति जताने के बावजूद हजारीबाग की निचली अदालत के न्यायाधीश ने 19 अप्रैल को वॉट्सऐप कॉल के जरिए उनके खिलाफ आरोप तय किया। कोर्ट ने इसे गम्भीरता से लेते हुए कहा कि इस प्रक्रिया की इजाजत नहीं दी जा सकती। पीठ ने झारखंड सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
वॉट्सऐप के जरिए चलाया केस,
सुप्रीम कोर्ट ने कहा-क्या मजाक है
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाई कोर्ट का फैसला
Rajesh.Choudhary@timesgroup.com
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि तलाक के लम्बे समय बाद पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस नहीं बनता। महिला ने पति से तलाक होने के चार साल बाद दहेज प्रताड़ना से सम्बंधित मामले में केस दर्ज करवाया था। अदालत ने इसे खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला के पति या पति के रिश्तेदार जब प्रताड़ित करें तो धारा 498ए