जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ठीकरा सरकार के सिर फोड़ रहे विपक्षी दलों की रणनीति पर पानी फेरने की तैयारी हो गई है। अध्यादेश की बजाय अब सरकार संशोधन के साथ पुराने कानून को बहाल करने के लिए संसद के इसी सत्र में विधेयक लाने जा रही है। यानी अब आरोपित को फिर से तुरंत गिरफ्तार किया जा सकेगा, उसे गिरफ्तार करने के लिए किसी की मंजूरी आवश्यक नहीं होगी। जाहिर तौर पर इस फैसले से सरकार ने नौ अगस्त को प्रस्तावित दलित आंदोलन का आधार भी खत्म कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ‘अनुसूचित जाति-जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) संशोधित कानून-2018’ के मसौदे को मंजूरी दे दी गई। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने मंत्रिमंडल के फैसले की पुष्टि की। दरअसल, पिछले दिनों विपक्ष के साथ-साथ कुछ सहयोगी दलों ने भी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया था। यह प्रचारित करने की कोशिश हो रही थी कि सरकार दलित विरोधी है। इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट का फैसला देने वाली पीठ में शामिल रहे जस्टिस आदर्श कुमार गोयल को नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) का अध्यक्ष बनाने पर भी सवाल उठाया जा रहा था। यूं तो सरकार पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहती थी, लेकिन अब रणनीति बदल गई है। बताते हैं कि दलित अत्याचार निवारण कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने के लिए अगले सप्ताह ही यह संशोधन विधेयक पारित कराया जाएगा