सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एससी-एसटी और ओबीसी की तर्ज पर मांगा गया है आरक्षण
मांगा जवाब
हक की बात
सुप्रीम कोर्ट में अनाथ बच्चों के उठी है। गुरुवार को कोर्ट ने अनाथ बच्चों को भी एससी-एसटी और ओबीसी की तरह नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण दिए जाने की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया।1न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर. भानुमति की पीठ ने ये नोटिस लखनऊ की रहने वाली पौलोमी पावनी शुक्ला की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए। कानून में स्नातक और पेशे से सलाहकार पावनी ने याचिका पर स्वयं बहस की। इसमें कहा गया है कि अनाथ बच्चे सबसे ज्यादा मजबूर, कमजोर और जरूरतमंद होते हैं, लेकिन सरकार का ध्यान उनकी ओर नहीं है। सरकार माता-पिता के साथ रहने वाले एससी-एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और कई अन्य वर्गो के बच्चों को बहुत योजनाओं में मदद और लाभ देती है। वैसी ही मदद और लाभ अनाथ और बेसहारा बच्चों को भी मिलना चाहिए। उन्हें भी कर्ज, और छात्रवृत्ति आदि की सुविधाएं दी जानी चाहिए। अनाथ बच्चों की स्थिति पर लिखी गई किताब ‘वीकेस्ट ऑन अर्थ- आर्फेन्स ऑफ इंडिया’ की सह लेखक पावनी का कहना है कि देश के 117 जिलों में एक भी अनाथालय नहीं है।1याचिका में कहा गया है कि देश में करीब दो करोड़ बच्चे अनाथ हैं। बच्चों के लिए भारत सरकार की एकीकृत बाल संरक्षण योजना है जिसका लाभ इन सभी दो करोड़ बच्चों को मिलना चाहिए, लेकिन वास्तव में एक लाख से कम बच्चों को ही प्रति वर्ष योजना का लाभ मिल पाता है। अनाथ बच्चों के लिए किसी भी तरह की कोचिंग, छात्रवृत्ति, रियायती दर पर कर्ज आदि की व्यवस्था नहीं है। न ही इन बच्चों को एससी-एसटी और ओबीसी आदि की तरह नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिलता है।’
लखनऊ की रहने वाली पावनी शुक्ला ने दाखिल की है जनहित याचिका >>कहा, अनाथ बच्चे सबसे ज्यादा मजबूर और जरूरतमंद होते हैंयाचिकाकर्ता पावनी शुक्ला