इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत की घटना को कदाचार मानते हुए पुलिस इंस्पेक्टर का निलंबन उचित नहीं है। सेवाजन्य कोई अनुचित कार्य करने या कर्तव्य न निभाने या अपराध में लिप्त होने की दशा में विभागीय जांच के दौरान ही निलंबित किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि वैसे भी पुलिस नियमावली के तहत संभावित या प्रारंभिक जांच लंबित रहते निलंबन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने याची इंस्पेक्टर का निलंबन आदेश रद कर दिया।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति आइए खान की खंडपीठ ने ध्रुव भूषण दुबे की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता विजय गौतम ने बहस की। इनका तर्क था कि शराब पीने से चार लोगों की मौत के लिए याची को कदाचार का दोषी नहीं माना जा सकता है। पुलिस नियमावली के नियम 17 (एक)(ए) के तहत इसे सेवाजनित कदाचार नहीं माना जा सकता। ऐसे में निलंबन अवैध है। दूसरे, बिना विभागीय जांच शुरू किए किसी कर्मचारी को निलंबित नहीं किया जा सकता। केवल प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मांगने के आधार पर निलंबन विधि विरुद्ध है।
गौतम ने कहा कि हालांकि निलंबन कोई दंड नहीं है। नियम 17 के तहत विभागीय जांच लंबित रहने या आपराधिक केस की विवेचना, जांच या ट्रायल, या जेल में बंद होने के दौरान ही निलंबन किया जा सकता है। याची पर ऐसी स्थिति नहीं लागू होती। प्रारंभिक जांच के लंबित रहते कर्मी को निलंबित नहीं किया जा सकता।