इलाहाबाद : केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने दत्तक पुत्र को मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाने का हकदार माना है। साथ ही रेलवे को दिवंगत खलासी के दत्तक पुत्र को इस कोटे में नियुक्ति देने के मामले में तीन माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश कैट के न्यायिक सदस्य मुर्तजा अली ने झांसी के रिशु ठाकुर की अर्जी पर दिया है।
रेलवे में खलासी रहे रिशु के चाचा ने उसे दत्तक पुत्र के रूप में गोद लिया था। बाद में सेवा के दौरान चाचा की मौत हो गई। बालिग होने पर रिशु ने अनुकंपा कोटे में नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन, रेलवे ने उसकी मांग नामंजूर कर दी। इस पर अर्जी दाखिल करके कहा गया कि रिशु को उसके चाचा ने पंजीकृत दत्तक ग्रहण के माध्यम से गोद लिया है। इसी आधार पर उसे सिविल जज के यहां से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र भी जारी हुआ है।
उसे चाचा के ग्रेच्युटी, फंड व सभी सेवाजनित लाभ हासिल हुए हैं। ऐसे में उसे अनुकंपा कोटे में नौकरी पाने का अधिकार है। सुनवाई के बाद कैट ने कहा कि रजिस्टर्ड डीड और उत्तराधिकार प्रमाण पत्र सत्यापित होने के बाद रेलवे को अभ्यर्थी का प्रत्यावेदन रद करने का अधिकार नहीं है।