चाहिए सरकारी नौकरी तो जरूरी हो सकती है मिलिट्री ट्रेनिंग, मंत्रियों का समूह विचार करके लेगा अंतिम निर्णय।
■ मिलिट्री ट्रेनिंग के प्रस्ताव को लेकर सेना शुरू से उत्साहित रहा है। सूत्रों के अनुसार, सेना की ओर से ऐसे प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई है। लेकिन सरकार में इसे लेकर संशय है। सूत्रों के अनुसार, इस सिस्टम को लागू करने से पहले बहुत बड़ा होमवर्क करना होगा। साथ ही तमाम दूसरे पहलु भी देखने होंगे। ऐसे में सरकार हड़बड़ी में कोई कदम बढ़ाने से परहेज कर रही है।
नई दिल्ली: सरकारी नौकरी करने वालों के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग अनिवार्य हो या नहीं, इस बारे में मंत्रियों का समूह जल्द एक रोडमैप तैयार करेगी। सरकार ने इस मामले पर सभी पक्षों से बात कर आम राय बनाने की जिम्मेदारी इस समूह पर डाली है। इस बारे में ससंद के पिछले सत्र में एक कमिटी ने अपनी अनुशंसा की थी। कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर मोदी सरकार ने इसकी पहल की है। सूत्रों के अनुसार, सरकार की मंशा है कि वह इस प्रस्ताव की रोशनी में तमाम पक्षों को देखकर रास्ता तलाशे।
■ फटकार के बाद पहल :विश्व के कई देशों में मिलिट्री ट्रेनिंग अनिवार्य करने का प्रावधान है। संसदीय कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में डीओपीटी (डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग) की आलोचना की थी वह इस बारे में उचित पहल नहीं कर रहा है। फटकार खाकर डीओपीटी इस बारे में संभावना तलाशने की कोशिश शरू कर दी है।
■ मालूम हो कि बीजेपी के सीनियर सांसद मेजर बीसी खंडूरी और मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई वाली कमिटी ने कहा था कि किसी को केंद्र या राज्य सरकार में सरकारी नौकरी चाहिए, तो उसे भविष्य में 5 साल अनिवार्य रूप से मिलिट्री ट्रेनिंग लेनी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल आर्मी में लगभग 70 हजार से अधिक पद खाली हैं। इससे काम करने वालों पर अतिरिक्त दबाव है। इस कमी को पूरा करने के लिए स्थायी समाधान के लिए इस तरह की अनुशंसा की गई है। कमिटी ने कहा था कि सेना का मनोबल बनाए रखने के लिए सरकार को तत्काल प्रस्ताव को अमल में लाना चाहिए।