व्यवस्था ’ महिला ने पति पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए साथ रहने से किया इन्कार कोर्ट ने पति से कहा, पत्नी को साथ रखने के फैसले पर करे पुनर्विचार
मध्यस्थता से नहीं बनी बात इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को समझौते से मामला निपटाने के लिए मध्यस्थता के लिए भेजा था लेकिन, सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने कोर्ट को बताया कि उनके बीच समझौता नहीं हो पाया ह’ यह मामला पति की ओर से जमशेदपुर में लंबित मुकदमों को कोलकाता ट्रांसफर कराने की मांग का है दोनों पक्षों के बीच वैवाहिक विवाद और धारा 498ए का मुकदमा जमशेदपुर की अदालत में लंबित है
वैवाहिक विवाद और दहेज प्रताड़ना से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि पत्नी कोई जागीर या वस्तु नहीं है और पति उसे साथ रहने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद और दहेज प्रताड़ना के मुकदमे के स्थानांतरण की अर्जी पर सुनवाई के दौरान की। 1इस मामले में महिला के वकील ने कोर्ट से कहा था कि पति महिला के साथ क्रूरता का व्यवहार करता है। पत्नी ने उसके खिलाफ सताए जाने का मुकदमा दाखिल कर रखा है। उसकी मुवक्किल पति के साथ नहीं रहना चाहती। वकील के साथ स्वयं अदालत मे मौजूद पति ने कोर्ट से कहा कि वह पत्नी को अपने साथ रखना चाहता है। इस पर पीठ ने नाराज होते हुए कहा कि पत्नी कोई जागीर या वस्तु नहीं है, जिसे आप जबरदस्ती साथ रहने को मजबूर करें। जब वह आपके साथ नहीं रहना चाहती तो आप इसके लिए उसे मजबूर कैसे कर सकते हैं?1पीठ ने पति के वकील से कहा कि वह इतना स्वार्थी कैसे हो सकता है कि बीवी से जागीर और वस्तु की तरह व्यवहार कर रहा है? इस पर वकील ने कहा कि वह इस बारे में अपने मुवक्किल को समझाएंगे। कोर्ट ने पति को विचार करने का समय देते हुए मामले की सुनवाई आठ अगस्त तक के लिए टाल दी। तभी पत्नी की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह क्रूरता के आधार पर पति से तलाक चाहती है। वह इसके साथ नहीं रहना चाहती। इसके बदले में वह आइपीसी की धारा 498ए (दहेज के लिए विवाहिता के साथ क्रूरता करना) का मुकदमा भी वापस लेने को तैयार है। वकील ने यह भी कहा कि वह बदले में गुजारा भत्ता भी नहीं चाहती है। बस तलाक चाहती है।