दलितों पर हो रहे अत्याचारों और एससी-एसटी ऐक्ट को शिथिल करने के मुद्दों पर प्रधानमंत्री एक भी शब्द क्यों नहीं बोल रहे हैं/ लगता है आरएसएस ने उन्हें लाठी पकड़ना, निकर पहनना और झूठ बोलना सिखाया है।
- राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष• एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ : भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने मंगलवार सुबह बसपा सरकार का 29 अक्टूबर 2007 का शासनादेश ट्वीट किया। उन्होंने सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले का मायावती विरोध कर रही हैं वैसा ही आदेश खुद मायावती ने अपनी सरकार में दिया था। 29 अक्टूबर 2007 को जारी शासनादेश में कहा गया था कि एससी-एसटी एेक्ट के तहत त्वरित न्याय दिलाने के साथ यह भी ध्यान रखा जाए कि किसी निर्दोष व्यक्ति को परेशान न किया जाए। इस पर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर का कहना है कि बहुत से कानूनों का दुरुपयोग होता है, क्या वे खत्म कर दिए जाते हैं।
भाजपा ने ट्वीट िकया माया का शासनादेश• एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ : दलित संगठन यूपी में बुधवार को भी आंदोलन करेंगे। जिलों को हाई अलर्ट कर दिया गया है। हालांकि मंगलवार देर शाम तक किसी भी जिले में प्रशासन से प्रदर्शन की अनुमति नहीं मांगी गई है। अब तक सात िजलों में 660 लोगों के िखलाफ 125 मुकदमे दर्ज किए जा चुके है। आरोिपतों को िचह्नित कर उनकी िगरफ्तारी की जा रही है। एडीजी एलओ आनन्द कुमार ने बताया कि बुधवार को भी प्रदर्शन की सूचना है।
आज भी प्रदर्शन, हाई अलर्ट
25
1.92
प्रतिशत मामलों (औसतन) में दोष सिद्धि हुई (लोकसभा में सरकार ने बताया)
लाख से अधिक मामले दर्ज हुए दलित उत्पीड़न के पिछले पांच साल में
‘आरक्षण नीति बदलने की मंशा नहीं’
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सफाई दी कि सरकार की एससी-एसटी के लिए मौजूदा आरक्षण पॉलिसी में बदलाव की कोई मंशा नहीं है। लोकसभा में उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर फैलाई जा रही अफवाहें निराधार हैं। सरकार ने तो 2015 में इस कानून को ज्यादा मजबूत बनाया था। उधर, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार के भारत बंद को चुनावी राजनीति करार देते हुए कहा कि यह स्क्रिप्ट अब पुरानी हो चुकी है।
बड़े पैमाने पर हिंसा के दूसरे दिन मंगलवार को राजस्थान के करौली जिले के हिंडौन कस्बे में 5 हजार लोगों की भीड़ ने बीजेपी की विधायक राजकुमारी जाटव और कांग्रेस के पूर्व विधायक भरोसी लाल जाटव के घर जला दिए। दोनों दलित समुदाय से हैं। हिंडौन में आगजनी और हिंसा की घटनाओं के बाद करीब 40 लोगों को हिरासत में लिया गया। मध्य प्रदेश के ग्वालियर, भिंड, मुरैना में तनाव को देखते हुए कर्फ्यू अब भी जारी है। ग्वालियर में 50 दंगाइयों को हिरासत में लिया गया। हिंसा में दो घायलों ने दम तोड़ दिया है।
मेरठ में तनाव के बीच पुलिस ने फ्लैग मार्च किया
िहंसा जारी, बीजेपी िवधायक समेत 2 के घर फूंके
हम इस कानून के खिलाफ नहीं हैं। इसका विरोध कर रहे लोगों ने हो सकता है कि फैसला सही तरह से पढ़ा न हो - सुप्रीम कोर्ट• एनबीटी ब्यूरो, नई दिल्ली
एससी-एसटी (अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार निरोधक कानून) ऐक्ट से जुड़े फैसले की रिव्यू पिटिशन पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की खुली अदालत में सुनवाई करते हुए अपने फैसले पर स्टे देने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह विस्तार से इस मामले में दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगी। 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/ एसटी ऐक्ट मामले में अग्रिम जमानत का प्रावधान किए जाने और एफआईआर से पहले छानबीन का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल कर इस आदेश पर फौरन स्टे लगाने की मांग की थी। इस आदेश के बाद सोमवार को हुए भारत बंद के दौरान देशभर में भारी हिंसा हुई थी और 12 जानें चली गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा कि एससी-एसटी ऐक्ट के प्रॉविजन से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। बेंच ने कहा कि जो लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, हो सकता है कि उन्होंने फैसले को सही तरह से पढ़ा न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस ऐक्ट के खिलाफ नहीं है, हमने सीआरपीसी के प्रावधान को पारिभाषित किया है और कानून का गलत इस्तेमाल न हो, इसके लिए सेफगार्ड दिया है। ऐक्ट का इस्तेमाल निर्दोष लोगों को आतंकित करने के लिए नहीं हो सकता। अदालत की नजर में निर्दोष लोगों के मौलिक अधिकार सर्वोपरि हैं। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने दलील पेश की और फैसले पर रोक लगाने की भी गुहार लगाई। वहीं कोर्ट सलाहकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सही ठहराया और कहा कि यह आदेश कहीं से भी एससी व एसटी ऐक्ट को कमतर नहीं करता। इसलिए किसी रिव्यू की जरूरत नहीं है।
कोर्ट ने कहा-हम कानूनी पहलू